India Alliance ने भले ही 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत से दूर रखा हो लेकिन सत्ता में नहीं आ सका। प्रधानमंत्री मोदी को सरकार बनाने के लिए सहयोगियों का सहारा लेना पड़ा। अब एक साल के भीतर विपक्ष की एकता में दरारें दिखाई देने लगी हैं। अरविंद केजरीवाल के बाद अब शरद पवार भी दूरी बना रहे हैं जबकि ममता बनर्जी करीब आती दिख रही हैं।
दिल्ली में इंडिया अलायंस की बैठक में 16 पार्टियों के नेता शामिल हुए लेकिन न शरद पवार आए और न ही केजरीवाल की पार्टी। हैरानी की बात यह रही कि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी जो पहले दूरी बना चुकी थी अब इस बैठक में शामिल हुई। तो सवाल यह उठता है कि कौन पास आ रहा है और कौन दूर जा रहा है।

शरद पवार की चुप्पी और बढ़ते सवाल
शरद पवार पहले इंडिया अलायंस के मुख्य सूत्रधारों में से थे लेकिन ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष सत्र की मांग को उन्होंने ठुकरा दिया। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मामला है जिसे संसद में नहीं बल्कि सर्वदलीय बैठक में रखा जाना चाहिए। इसके बाद उनकी पार्टी की बैठक में गैरमौजूदगी ने संदेह और बढ़ा दिया है।
आप पार्टी का खुला ऐलान और कांग्रेस से दूरी
आम आदमी पार्टी ने अब खुलकर कह दिया है कि वह किसी भी अलायंस का हिस्सा नहीं है। अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को दिल्ली की हार का जिम्मेदार ठहराया है और आने वाले राज्यों के चुनावों में भी उन्हें कांग्रेस से सीधी टक्कर लेनी है। इसलिए अब आप पार्टी पूरी तरह से अलग हो चुकी है।
जब इंडिया अलायंस बना था तब ममता बनर्जी ने दूरी बनाई थी लेकिन अब ऑपरेशन सिंदूर और सीज़फायर के मुद्दे पर वह खुलकर समर्थन कर रही हैं। डेरिक ओ ब्रायन ने बैठक में हिस्सा लिया और पीएम मोदी को पत्र पर हस्ताक्षर भी किए। बंगाल चुनाव को देखते हुए ममता अब बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को साथ लाना चाहती हैं।