US TRF Terrorist News: वाशिंगटन से एक बड़ी खबर सामने आई है जहां अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। यह कदम आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका की सख्त नीति का हिस्सा है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि यह संगठन बीते 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयानक आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार है। इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हुई थी, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
टीआरएफ का पहलगाम हमले में क़दम
टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट, लश्कर-ए-तैयबा का एक शाखा संगठन है, जो विशेष रूप से कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले में इस संगठन ने सक्रिय भूमिका निभाई थी और उसने इस हमले की जिम्मेदारी भी स्वीकार की थी। इस हमले में स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों प्रभावित हुए थे, जिससे जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा हालात और भी नाजुक हो गई थी। इस हमले ने पूरे देश में आतंकवाद के प्रति सख्त रुख अपनाने की मांग को और भी तेज कर दिया था।

अमेरिकी प्रतिबद्धता और कार्रवाई
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया कि इस कार्रवाई से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस प्रतिबद्धता को पूरा कर रहा है जिसमें उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने और पहलगाम आतंकी हमले जैसे घटनाओं के लिए न्याय सुनिश्चित करने का वादा किया था। रुबियो ने कहा कि टीआरएफ जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ यह कदम न केवल आतंकवाद की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह उन लोगों को न्याय दिलाने का भी माध्यम है जो आतंकवाद की वजह से अपनों को खो चुके हैं।
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में अमेरिका की भूमिका
टीआरएफ को विदेशी आतंकी संगठन घोषित करने का मतलब है कि अब इस संगठन से जुड़े किसी भी व्यक्ति या समूह के खिलाफ अमेरिका में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इससे न केवल टीआरएफ के फंडिंग स्रोतों को निशाना बनाया जाएगा, बल्कि इनके नेटवर्क और सक्रियता को भी कमज़ोर किया जाएगा। यह निर्णय आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष में अमेरिका की भूमिका को और मजबूत करता है। भारत के साथ इस मामले में अमेरिका का सहयोग आतंकवाद से लड़ने के लिए अहम माना जा रहा है। पहलगाम हमले जैसे कायराना कृत्यों को न केवल रोकने की आवश्यकता है, बल्कि आतंकवाद के इस वैश्विक खतरे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एकजुट होना भी अनिवार्य है।