Stocks: भारत और अमेरिका ने हाल ही में एक 10 साल के रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया है, जिसे इस साल के अंत तक पूरा किया जा सकता है। इस खबर ने रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त हलचल मचा दी है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए सहमति जताई है, जिसका मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करना है। पेंटागन ने बुधवार को एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। इस समझौते से न केवल रक्षा सहयोग बढ़ेगा, बल्कि भारत की रक्षा कंपनियों को भी बड़े मौके मिलेंगे, जिससे निवेशकों का ध्यान इन शेयरों की ओर गया है। यह समझौता भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल और रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
शेयर बाजार में रक्षा कंपनियों का प्रदर्शन
इस खबर के बाद निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स में शामिल कई कंपनियों के शेयरों में उछाल देखने को मिला। डाटा पैटर्न्स (इंडिया), सायंट डीएलएम, बीईएमएल, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), डायनामेटिक टेक्नोलॉजीज, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स जैसे शेयरों में 1 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़त दर्ज की गई। इस तेजी की वजह से निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स में 0.65% की वृद्धि हुई। दूसरी ओर, भारत डायनामिक्स, यूनिमेक एयरोस्पेस एंड मैन्युफैक्चरिंग, एस्ट्रा माइक्रोवेव प्रोडक्ट्स, मिश्रा धातु निगम, डीसीएक्स सिस्टम्स और जेन टेक्नोलॉजीज जैसे शेयरों में 0.5 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यह उतार-चढ़ाव दर्शाता है कि निवेशक इस समझौते के असर को लेकर उत्साहित हैं, लेकिन कुछ कंपनियों पर बाजार का भरोसा अभी कम है। यह स्थिति रक्षा क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को और दिलचस्प बनाती है।
जेट इंजनों की डिलीवरी और उत्पादन पर चर्चा
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को पीट हेगसेथ के साथ फोन पर बातचीत में भारत के तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के लिए जीई एफ404 इंजनों की डिलीवरी को तेज करने की मांग की। न्यूज एजेंसी पीटीआई के हवाले से लोगों ने बताया कि सिंह ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) और अमेरिकी रक्षा कंपनी जीई एयरोस्पेस के बीच एफ414 जेट इंजनों के संयुक्त उत्पादन के प्रस्तावित सौदे को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की वकालत की। जीई एयरोस्पेस द्वारा एफ404 इंजनों की आपूर्ति में देरी की वजह से एचएएल भारतीय वायु सेना को तेजस मार्क 1ए विमानों की डिलीवरी की समय सीमा चूक गया है। यह समझौता भारत के रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह चर्चा न केवल तकनीकी सहयोग को बढ़ाएगी, बल्कि भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए नए अवसर भी खोलेगी।
निवेशकों की नजर इन शेयरों पर
इस 10 साल के रक्षा समझौते की खबर के बाद निवेशकों की नजर एचएएल, बीएचईएल, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), डायनामेटिक टेक्नोलॉजीज, पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स जैसे रक्षा शेयरों पर टिकी है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी रक्षा क्षेत्र के शेयरों में तेजी देखी गई थी, और अब यह समझौता इन कंपनियों के लिए और बड़े ऑर्डर और राजस्व की संभावना ला रहा है। भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के तहत रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन को बढ़ावा मिल रहा है, जिससे इन कंपनियों के ऑर्डर बुक में इजाफा हो रहा है। निवेशकों के लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेश से पहले कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन, ऑर्डर बुक और सरकारी नीतियों का विश्लेषण जरूर करें। रक्षा क्षेत्र में लंबी अवधि की स्थिरता और बढ़ती मांग को देखते हुए ये शेयर भविष्य में अच्छा रिटर्न दे सकते हैं।