Sigachi Blast: तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले में दो दिन पहले हुए सिगाची इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड की पासुम्यालम यूनिट के विस्फोट ने लोगों के दिलों में डर बसा दिया है। इस भयावह हादसे में 40 लोगों की जान चली गई और 33 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की भयावहता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि मौके पर ही कई लोग जलकर राख हो गए। इस मामले में पुलिस ने फैक्ट्री मैनेजमेंट के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है और शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि कंपनी ने पुराने मशीनों को बदलने की कर्मचारियों की अपील को नज़रअंदाज़ किया था।
पुराने मशीनों की चेतावनी को किया गया था नजरअंदाज़
मृतक राजनाला वेंकट जगन मोहन के बेटे यशवंत राजनाला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए बताया कि उनके पिता पिछले 20 साल से सिगाची में काम कर रहे थे और उन्होंने कई बार मैनेजमेंट को मशीनों की हालत के बारे में चेतावनी दी थी। लेकिन प्रबंधन ने कभी भी उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा ये हुआ कि स्प्रे ड्रायर यूनिट में अचानक प्रेशर बढ़ने से विस्फोट हो गया और सूक्ष्म क्रिस्टलीय सेलुलोज के केमिकल डस्ट ने आग को और भी खतरनाक बना दिया। पुलिस ने इस लापरवाही को देखते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 105, 110 और 117 के तहत प्रबंधन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और गंभीर चोट पहुंचाने का मामला दर्ज किया है।
सरकार और कंपनी की तरफ से मुआवज़ा लेकिन सवाल बरकरार
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये और गंभीर रूप से घायल लोगों को 10 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की है। कंपनी ने भी अपने स्तर पर मृतकों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया है। हालांकि राहत और मुआवज़े की घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर कैसे इतनी बड़ी फैक्ट्री बिना सुरक्षा इंतज़ामों के चल रही थी। दमकल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फैक्ट्री के पास फायर डिपार्टमेंट की तरफ से एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट तक नहीं था। वहां न तो कोई फायर अलार्म था और न ही हीट सेंसर जैसी बुनियादी सुरक्षा व्यवस्थाएं।
जांच कमेटी गठित लेकिन जवाबदेही तय होना बाकी
राज्य सरकार ने इस गंभीर हादसे की जांच के लिए 5 सदस्यों की एक विशेष कमेटी बनाई है। हादसे के वक्त प्लांट में 143 कर्मचारी काम कर रहे थे। कंपनी माइक्रोक्रिस्टलीन सेलुलोज का निर्माण करती है जो दवाइयों, खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों और विशेष रसायनों में प्रयोग होता है। कंपनी अमेरिका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक सेवाएं देती है लेकिन खुद के कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर बेहद लापरवाह निकली। हादसे के बाद कंपनी ने बयान जारी कर कहा कि प्लांट अब 90 दिनों तक बंद रहेगा और यह भी दावा किया कि विस्फोट रिएक्टर में नहीं बल्कि किसी और इकाई में हुआ। लेकिन इन बयानों से उन 40 परिवारों का दुख कम नहीं हो सकता जिनके घर उजड़ चुके हैं। अब देखना ये है कि जांच कमेटी क्या रिपोर्ट पेश करती है और क्या दोषियों को वाकई सज़ा मिलती है या फिर यह हादसा भी बाकी हादसों की तरह धीरे-धीरे लोगों की यादों से मिट जाएगा।