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PSU Stock Sale by Government: सरकार बेचेगी बैंकों में 20% हिस्सा, लेकिन सरकारी पहचान रहेगी बरकरार!

PSU Stock Sale by Government: सरकार बेचेगी बैंकों में 20% हिस्सा, लेकिन सरकारी पहचान रहेगी बरकरार!

PSU Stock Sale by Government: भारत सरकार ने कुछ सरकारी बैंकों यानी PSU बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। जैसे ही ये खबर सामने आई, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंकों के शेयरों में उछाल देखने को मिला। 17 जून 2025 को इन बैंकों के शेयर 4 प्रतिशत तक बढ़ गए। इस खबर के बाद कुछ लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने के बाद ये बैंक सरकारी से निजी हो जाएंगे? लेकिन, साफ कर दें कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला। इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत से ज्यादा है। अगर सरकार 20 प्रतिशत हिस्सा भी बेच दे, तब भी सबसे बड़ा शेयरहोल्डर भारत सरकार ही रहेगी। यानी, ये बैंक सरकारी ही रहेंगे। सरकार सिर्फ सेबी के नियमों के तहत कुछ हिस्सेदारी बेच रही है।

क्या है हिस्सेदारी बेचने का मकसद?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार अगले छह महीनों में इन पांच PSU बैंकों में 20 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी बेचने की योजना पर काम कर रही है। ये हिस्सेदारी क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) और ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेची जाएगी। इसका मकसद है सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नियम को पूरा करना, जिसके तहत अगस्त 2026 तक इन बैंकों में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी पब्लिक के पास होनी चाहिए। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मर्चेंट बैंकरों की नियुक्ति का काम अंतिम चरण में है। ये कदम बैंकों की लिक्विडिटी बढ़ाने और मार्केट सेंटीमेंट को बेहतर करने के लिए उठाया जा रहा है। ये बैंकों के लिए एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है, क्योंकि इससे उनकी वैल्यूएशन बेहतर हो सकती है।

सरकार की कितनी हिस्सेदारी है इन बैंकों में?

फिलहाल, इन पांच बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी काफी ज्यादा है। सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में सरकार की 93.08 प्रतिशत, इंडियन ओवरसीज बैंक में 96.38 प्रतिशत, यूको बैंक में 95.39 प्रतिशत, और पंजाब एंड सिंध बैंक में 98.25 प्रतिशत हिस्सेदारी है। बैंक ऑफ महाराष्ट्र में सरकार की हिस्सेदारी 79.60 प्रतिशत है। सेबी के नियमों के मुताबिक, इन बैंकों में सरकार को अपनी हिस्सेदारी घटाकर 75 प्रतिशत से नीचे लानी होगी। अगर सरकार 20 प्रतिशत हिस्सा बेचती है, तो भी इन बैंकों का नियंत्रण सरकार के पास ही रहेगा। इस हिस्सेदारी बिक्री से बैंकों की ऑपरेशनल जरूरतें पूरी होंगी और उनकी कैपिटल टू रिस्क एसेट्स रेशियो (CRAR) में 100 से 300 बेसिस पॉइंट्स की सुधार देखने को मिल सकता है।

PSU Stock Sale by Government: सरकार बेचेगी बैंकों में 20% हिस्सा, लेकिन सरकारी पहचान रहेगी बरकरार!

शेयर मार्केट में दिखा असर

हिस्सेदारी बेचने की खबर आते ही इन बैंकों के शेयरों में जोरदार तेजी देखी गई। 17 जून 2025 को स्टॉक मार्केट में इन बैंकों के शेयर बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। खबर लिखे जाने तक बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शेयर 0.51 प्रतिशत की तेजी के साथ 54.9 रुपये पर था। यूको बैंक का शेयर 0.80 प्रतिशत बढ़कर 31.6 रुपये पर कारोबार कर रहा था। इंडियन ओवरसीज बैंक का शेयर 1.47 प्रतिशत की उछाल के साथ 38 रुपये पर था। पंजाब एंड सिंध बैंक का शेयर 0.83 प्रतिशत बढ़कर 31.5 रुपये पर, और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का शेयर 0.68 प्रतिशत की तेजी के साथ 38.2 रुपये पर ट्रेड कर रहा था। इन बैंकों के शेयरों में ये तेजी निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दिखाती है।

क्या होगा इस बिक्री का फायदा?

हिस्सेदारी बेचने का सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि इन बैंकों की पब्लिक शेयरहोल्डिंग बढ़ेगी, जिससे उनकी मार्केट लिक्विडिटी में सुधार होगा। सेबी का नियम है कि सभी लिस्टेड कंपनियों में कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सेदारी पब्लिक के पास होनी चाहिए। अभी इन बैंकों में पब्लिक शेयरहोल्डिंग बहुत कम है, जैसे पंजाब एंड सिंध बैंक में सिर्फ 1.75 प्रतिशत, इंडियन ओवरसीज बैंक में 3.62 प्रतिशत, और यूको बैंक में 4.61 प्रतिशत। हिस्सेदारी बेचने से ये बैंक सेबी के नियमों का पालन कर पाएंगे। साथ ही, बैंकों को कैपिटल मिलेगा, जिससे वो ज्यादा लोन दे सकेंगे और अपनी फाइनेंशियल हेल्थ को मजबूत कर सकेंगे। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इन बैंकों की वैल्यूएशन भी बढ़ सकती है।

बैंकों का भविष्य और सरकार की रणनीति

ये हिस्सेदारी बिक्री प्राइवेटाइजेशन नहीं है, जैसा कि कुछ लोग समझ रहे हैं। सरकार का मकसद सिर्फ सेबी के नियमों को पूरा करना और बैंकों की फाइनेंशियल स्थिति को मजबूत करना है। वैभव कक्कर, जो सारफ एंड पार्टनर्स में सीनियर पार्टनर हैं, का कहना है कि PSU बैंकों में हिस्सेदारी कम करने से उनकी मार्केट परसेप्शन बेहतर होगी, जिससे उनकी वैल्यूएशन बढ़ेगी। हाल के सालों में PSU बैंकों ने शानदार ग्रोथ दिखाई है, और ये निवेशकों के लिए एक सुनहरा मौका हो सकता है। DIPAM और डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज इस प्रक्रिया को मिलकर अंजाम दे रहे हैं। अगले छह महीनों में ये प्रक्रिया शुरू हो सकती है, और इसका असर बैंकों और शेयर मार्केट दोनों पर सकारात्मक होने की उम्मीद है।

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