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PM Modi: 11 साल में दूसरी सबसे लंबी विदेश यात्रा! मोदी अब अफ्रीका से लैटिन अमेरिका तक रचेंगे नया इतिहास

On: July 5, 2025 3:04 PM
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PM Modi: 11 साल में दूसरी सबसे लंबी विदेश यात्रा! मोदी अब अफ्रीका से लैटिन अमेरिका तक रचेंगे नया इतिहास
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PM Modi अपनी 11 साल की सत्ता के दौरान दूसरी बार इतनी लंबी विदेश यात्रा पर निकले हैं। इससे पहले 2015 में, 6 से 13 जुलाई के बीच, उन्होंने रूस और मध्य एशिया के पांच देशों की यात्रा की थी। अब 2 से 9 जुलाई 2025 तक की यह यात्रा उनकी सबसे लंबी विदेश यात्राओं में से एक है। इस बार उनका फोकस ग्लोबल साउथ यानी अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों पर है। इस यात्रा में वो पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना, कैरिबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो, लैटिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना और ब्राजील, और अफ्रीकी देश नामीबिया का दौरा कर रहे हैं। ये यात्रा भारत के लिए कूटनीतिक और आर्थिक रूप से बहुत अहम है, क्योंकि ये देश न सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध हैं, बल्कि भारत के साथ इनके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्ते भी गहरे हैं।

इस यात्रा का मकसद भारत के ग्लोबल साउथ के साथ रिश्तों को और मजबूत करना, व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, और तकनीक जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना, और ब्रिक्स जैसे वैश्विक मंचों पर भारत की आवाज को बुलंद करना है। हर देश में प्रधानमंत्री का स्वागत जोश और गर्मजोशी के साथ हुआ है, और उनकी ये यात्रा भारत की वैश्विक छवि को और चमकाने वाली है। खास बात ये है कि इस यात्रा में वो उन देशों में जा रहे हैं, जहां कई दशकों बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री पहुंच रहा है। ये दिखाता है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी मौजूदगी को और गहरा करना चाहता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चीन जैसे देश पहले से ही अपनी पकड़ बना चुके हैं।

घाना और त्रिनिदाद-टोबैगो में गर्मजोशी से स्वागत

PM Modi की यात्रा की शुरुआत 2-3 जुलाई को पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना से हुई। ये 30 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का घाना दौरा था। घाना में उनके स्वागत में 21 तोपों की सलामी दी गई और राष्ट्रपति जॉन ड्रामणी महामा ने उनकी अगवानी की। यहां मोदी को घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान द ऑफिसर ऑफ द स्टार ऑफ घाना दिया गया, जिसे उन्होंने 1.4 अरब भारतीयों की ओर से स्वीकार किया। उन्होंने घाना की संसद को संबोधित किया और निवेश, ऊर्जा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, और विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। घाना में लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के भंडार हैं, जो भारत की स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के लिए अहम हैं। भारत और घाना के बीच 3 अरब डॉलर का व्यापार और 2 अरब डॉलर का निवेश पहले से ही है, और इस दौरे से इसे और बढ़ावा मिलेगा।

इसके बाद, 3-4 जुलाई को मोदी त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचे, जहां 40-45% आबादी भारतीय मूल की है। ये देश भारत के साथ गहरे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रिश्तों से जुड़ा है। 1845 से 1917 के बीच ब्रिटिश शासन ने करीब 1.17 लाख भारतीयों को यहां मजदूर के रूप में लाया था, और आज भारतीय मूल के लोग वहां की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का अहम हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने वहां की संसद को संबोधित किया और राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू और प्रधानमंत्री कमला पर्सद-बिसेसर से मुलाकात की। कमला को उन्होंने “बिहार की बेटी” कहा, क्योंकि उनका पैतृक संबंध बिहार के बक्सर से है। इस दौरे में छह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए और मोदी को त्रिनिदाद का सर्वोच्च सम्मान द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो दिया गया। ये दौरा भारत और कैरिबियाई देशों के रिश्तों को नई ऊंचाई देने वाला रहा।

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अर्जेंटीना और ब्राजील में रणनीतिक साझेदारी

4-5 जुलाई को प्रधानमंत्री अर्जेंटीना पहुंचे, जो 57 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला द्विपक्षीय दौरा था। इससे पहले 1968 में इंदिरा गांधी ने अर्जेंटीना का दौरा किया था। अर्जेंटीना में मोदी का स्वागत राष्ट्रपति हावियर मिले ने किया। दोनों नेताओं ने रक्षा, कृषि, खनन, तेल और गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार, और निवेश जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। अर्जेंटीना में लिथियम के बड़े भंडार हैं, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। वहां 1980 के दशक से सिन्धी और पंजाबी समुदाय बसे हैं, जो भारत और अर्जेंटीना के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम करते हैं। इस दौरे ने भारत-अर्जेंटीना के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत किया, विशेष रूप से जी-20 जैसे मंचों पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए।

इसके बाद, 5-8 जुलाई को मोदी ब्राजील में थे। 5-7 जुलाई को वो रियो डी जनेरियो में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में शामिल हुए, जहां वैश्विक शासन सुधार, शांति, सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। ब्रिक्स में भारत की भूमिका को मजबूत करते हुए, मोदी ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एकजुटता पर जोर दिया। इसके बाद, 7-8 जुलाई को वो ब्रासीलिया में थे, जहां उन्होंने राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा से मुलाकात की। ये दौरा करीब छह दशक बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का ब्रासीलिया दौरा था। भारत और ब्राजील के बीच 12.2 अरब डॉलर का व्यापार है, और दोनों देश रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, जैव-ईंधन, और आयुर्वेद जैसे क्षेत्रों में सहयोग करते हैं। इस साल भारत ने ब्राजील के वेदांताचार्य जोनास मासेती को पद्म श्री से सम्मानित किया, जो दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्तों का प्रतीक है।

नामीबिया में नई संभावनाएं

प्रधानमंत्री की यात्रा का आखिरी पड़ाव 9 जुलाई को नामीबिया था, जो 27 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का पहला दौरा था। इससे पहले 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी ने नामीबिया का दौरा किया था। राष्ट्रपति नेतुम्बो नांदी-न्डैतवाह से मुलाकात और नामीबियाई संसद को संबोधित करने के अलावा, मोदी ने नामीबिया के स्वतंत्रता सेनानी डॉ. सैम नुजोमा को श्रद्धांजलि दी। नामीबिया में लिथियम, यूरेनियम, और अन्य खनिजों के बड़े भंडार हैं, जो भारत की स्वच्छ ऊर्जा और तकनीकी जरूरतों के लिए अहम हैं। 2022 में नामीबिया से आठ चीतों को भारत के कुनो नेशनल पार्क में लाया गया था, जो दोनों देशों के बीच वन्यजीव संरक्षण में सहयोग का प्रतीक है। भारत नामीबिया को खनन और डिजिटल प्रशिक्षण में भी मदद दे रहा है, जिसमें यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान सिस्टम को लागू करना शामिल है।

इस यात्रा ने भारत के ग्लोबल साउथ के साथ रिश्तों को नई ऊंचाई दी। घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना, ब्राजील, और नामीबिया के साथ भारत के रिश्ते न सिर्फ आर्थिक और रणनीतिक क्षेत्रों में मजबूत हुए, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक बंधन भी गहरे हुए। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की सक्रिय भूमिका और अगले साल ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालने की तैयारी ने भारत को वैश्विक मंच पर और मजबूत किया। मोदी की ये यात्रा न सिर्फ भारत की कूटनीतिक ताकत को दिखाती है, बल्कि ये भी साबित करती है कि भारत अब ग्लोबल साउथ का एक मजबूत नेतृत्वकर्ता बन चुका है।

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