11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर PM Modi ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के साथ योग किया। इस खास मौके पर कई अन्य लोग भी पीएम मोदी के साथ योग सत्र में शामिल हुए। PM Modi ने इस अवसर पर लोगों को संबोधित भी किया और योग के महत्व को विस्तार से बताया। उन्होंने योग को न सिर्फ शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का आधार बताया, बल्कि इसे पूरी दुनिया को जोड़ने वाला एक आंदोलन भी कहा। आइए, जानते हैं कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में क्या-क्या कहा और इस आयोजन ने कैसे योग के वैश्विक महत्व को रेखांकित किया।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में योग के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि आज का दौर तनाव और अशांति से भरा हुआ है। उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, आज पूरी दुनिया किसी न किसी तरह के तनाव से गुजर रही है। कई क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग हमें शांति की राह दिखाता है।” पीएम ने बताया कि योग न सिर्फ हमारे शरीर और मन को संतुलित करता है, बल्कि हमें जीवन में शांति और स्थिरता देता है। उन्होंने यह भी कहा कि योग हमें यह सिखाता है कि हम प्रकृति का हिस्सा हैं, और हमारी खुशहाली पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य से जुड़ी है। यह संदेश आज के समय में बहुत जरूरी है, जब हम पर्यावरण और मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
मोटापे के खिलाफ योग और 10% तेल कम करने की चुनौती
PM Modi ने बढ़ते मोटापे को दुनिया की एक बड़ी चुनौती बताया। उन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम का जिक्र करते हुए कहा, “मैंने पहले भी मोटापे के मुद्दे पर विस्तार से बात की थी। इसके लिए मैंने एक चुनौती शुरू की थी कि हम अपने भोजन में 10% तेल कम करें।” उन्होंने दुनिया भर के लोगों से इस चुनौती में शामिल होने की अपील दोहराई। पीएम ने बताया कि योग न सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मोटापे जैसी समस्याओं से लड़ने में भी मदद करता है। योग के नियमित अभ्यास से हमारा शरीर फिट रहता है, और हम स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ते हैं। यह अपील लोगों को न सिर्फ योग अपनाने, बल्कि अपनी खान-पान की आदतों पर भी ध्यान देने के लिए प्रेरित करती है।
योग जोड़ता है पूरी दुनिया को
पीएम मोदी ने कहा कि 21 जून को दुनिया 11वीं बार एक साथ योग दिवस मना रही है। उन्होंने कहा, “योग का मतलब ही है जोड़ना। और यह देखना सुखद है कि योग ने पूरी दुनिया को जोड़ दिया है।” उन्होंने गर्व जताया कि भारत के दिव्यांग मित्र योग शास्त्र का अध्ययन कर रहे हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग कर रहे हैं, और गांव-गांव में युवा योग ओलंपियाड में हिस्सा ले रहे हैं। पीएम ने योग को एक जन-आंदोलन बनाने की अपील की, जो दुनिया को शांति, स्वास्थ्य और सद्भाव की ओर ले जाए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को दिन की शुरुआत योग से करनी चाहिए, ताकि जीवन में संतुलन और खुशी बनी रहे। यह संदेश योग को हर घर और हर दिल तक पहुंचाने का एक मजबूत प्रयास है।
योग का वैज्ञानिक आधार और भारत का योगदान
प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत योग को वैज्ञानिक आधार देने के लिए आधुनिक शोध को बढ़ावा दे रहा है। देश के बड़े चिकित्सा संस्थान योग पर शोध कर रहे हैं, ताकि इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में जगह मिल सके। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि योग की वैज्ञानिक प्रकृति को दुनिया के सामने लाया जाए।” पीएम ने यह भी याद किया कि जब भारत ने संयुक्त राष्ट्र में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव रखा था, तब रिकॉर्ड समय में 175 देशों ने इसका समर्थन किया था। यह एकता और समर्थन आज के दौर में कोई साधारण बात नहीं है। भारत की इस पहल ने योग को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दी है, और यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ के लिए योग
इस साल के योग दिवस की थीम ‘योग फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ’ को पीएम ने गहरा सत्य बताया। उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर हर जीव का स्वास्थ्य एक-दूसरे से जुड़ा है। “हमारी खुशहाली उस मिट्टी पर निर्भर करती है, जो हमारा भोजन उगाती है, उन नदियों पर, जो हमें पानी देती हैं, उन जानवरों और पौधों पर, जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा हैं।” योग हमें इस आपसी जुड़ाव का अहसास कराता है और हमें प्रकृति के साथ एकता की यात्रा पर ले जाता है। पीएम ने कहा कि सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियों से लेकर एवरेस्ट की चोटी और समुद्र की गहराइयों तक, हर जगह से एक ही संदेश आता है—योग सबका है और सबके लिए है। विशाखापट्टनम में पीएम के इस संबोधन ने योग को न सिर्फ एक व्यायाम, बल्कि एक जीवन दर्शन के रूप में स्थापित किया, जो पूरी दुनिया को एकजुट करता है।