MP News: मध्यप्रदेश की राजनीति में इस वक्त एक बड़ा बवाल मचा हुआ है। राज्य की जनजातीय कार्य मंत्री संपतिया उइके पर जल जीवन मिशन में ₹1000 करोड़ की रिश्वत लेने का गंभीर आरोप लगाया गया है। यह आरोप किसी और ने नहीं बल्कि पूर्व विधायक किशोर समरीते ने लगाया है। उन्होंने इस साल 12 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने पूरी जानकारी देते हुए कहा कि मंत्री ने जल जीवन मिशन में भारी-भरकम कमीशन लिया है। इस खुलासे के बाद से पूरे प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
जल जीवन मिशन की फंडिंग और संपत्ति जांच के आदेश
इस मामले के सामने आते ही लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जांच शुरू कर दी है। विभाग के मुख्य अभियंता संजय अधवान ने सभी मुख्य अभियंताओं से कहा है कि वे सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपें। यह रिपोर्ट जल जीवन मिशन के तहत खर्च किए गए पूरे ₹30 हजार करोड़ पर आधारित होगी जो केंद्र सरकार ने राज्य को दिए थे। केवल यही नहीं इस मामले में मंत्री संपतिया उइके और मंडला जिले के एक अभियंता की संपत्तियों की भी जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अब इन दोनों की संपत्ति का ब्योरा खंगाला जा रहा है जिससे यह पता लगाया जा सके कि कहीं भ्रष्टाचार के जरिए कोई अवैध कमाई तो नहीं हुई।
विपक्ष ने की मंत्री के इस्तीफे की मांग और CBI जांच की बात
जैसे ही ये मामला उजागर हुआ विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने कहा कि जब किसी मंत्री पर इतना बड़ा आरोप हो तो उसे अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने साफ कहा कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि जांच सीबीआई से हो और वह भी कोर्ट की निगरानी में। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने मामले को दबाने की कोशिश की तो वे इस मामले को लेकर कोर्ट भी जाएंगे और विधानसभा में भी सवाल उठाएंगे।
सरकार पर बढ़ा दबाव, जांच से तय होगा राजनीतिक भविष्य
इस पूरे मामले ने राज्य सरकार को संकट में डाल दिया है। मंत्री पर ₹1000 करोड़ की रिश्वत का आरोप लगना कोई मामूली बात नहीं है। इससे सरकार की छवि को गंभीर नुकसान हो सकता है खासकर ऐसे समय में जब चुनावी माहौल धीरे-धीरे बन रहा है। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर जांच शुरू हो चुकी है लेकिन जनता और विपक्ष दोनों की नज़र इस पर टिकी है कि क्या जांच निष्पक्ष होगी या फिर मामले को धीरे-धीरे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। अब देखना ये है कि रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री और केंद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेते हैं और मंत्री संपतिया उइके पर क्या कार्रवाई होती है।