MP Famous Personality: मध्य प्रदेश, भारत का हृदय स्थल, न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है, बल्कि उन महान व्यक्तित्वों के लिए भी, जिन्होंने इतिहास और आधुनिक समय में अपनी छाप छोड़ी। इस राज्य ने कई ऐसे शासक, स्वतंत्रता सेनानी, वैज्ञानिक, और राजनेता दिए, जिन्होंने देश और दुनिया को प्रेरित किया। नगभट्ट प्रथम, मिहिर भोज, रानी लक्ष्मीबाई, डॉ. बी.आर. आंबेडकर, अटल बिहारी वाजपेयी, तांत्या भील, रमेश चंद्र अग्रवाल, और नरेंद्र कर्माकर जैसे लोग मध्य प्रदेश की माटी से निकले और अपने कार्यों से अमर हो गए। इनमें से कुछ की कहानियां हमें इतिहास के पन्नों में गर्व का एहसास कराती हैं, तो कुछ ने आधुनिक भारत को नई दिशा दी। आइए, इनमें से कुछ महान हस्तियों के बारे में जानते हैं।
नगभट्ट प्रथम: प्रतिहार वंश का प्रथम योद्धा
नगभट्ट प्रथम (730-756 ई.) प्रतिहार वंश के पहले प्रमुख शासक थे, जिन्होंने मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र से अपनी सत्ता स्थापित की। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि अरब आक्रमणकारियों के खिलाफ सफल युद्ध थी, जिसे राजस्थान का प्रथम युद्ध कहा जाता है। उन्होंने मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में आए अरबों को हराया और मध्य भारत की रक्षा की। नगभट्ट ने राठौड़ राजा दंतिदुर्ग के साथ भी युद्ध लड़ा और अपनी शक्ति का परचम लहराया। उनकी वीरता और रणनीति ने प्रतिहार वंश को एक मजबूत आधार दिया, जिसने बाद में मिहिर भोज जैसे शासकों के लिए रास्ता बनाया। नगभट्ट की कहानी हमें सिखाती है कि साहस और दृढ़ता से बड़े से बड़ा खतरा टाला जा सकता है।
रानी लक्ष्मीबाई: झांसी की शेरनी
रानी लक्ष्मीबाई (19 नवंबर 1835 – 18 जून 1858), जिन्हें झांसी की रानी के नाम से जाना जाता है, मध्य प्रदेश की सबसे प्रेरणादायक शख्सियतों में से एक हैं। हालांकि उनका जन्म वाराणसी में हुआ, लेकिन झांसी (मध्य प्रदेश) उनकी कर्मभूमि थी। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनकी वीरता ने उन्हें अमर बना दिया। ब्रिटिशों ने उन्हें झांसी का किला छोड़ने को कहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और डटकर मुकाबला किया। पुरुष वेश में तलवार थामे, ग्वालियर के युद्ध में उन्होंने आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी। उनकी यह नन्हीं सी पंक्ति, “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी,” आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजती है। रानी लक्ष्मीबाई की कहानी साहस, स्वाभिमान और बलिदान की मिसाल है।
डॉ. बी.आर. आंबेडकर: संविधान के शिल्पकार
डॉ. भीमराव आंबेडकर (14 अप्रैल 1891 – 6 दिसंबर 1956), जिन्हें बाबासाहेब के नाम से जाना जाता है, मध्य प्रदेश के महू में जन्मे थे। वे भारतीय संविधान के निर्माता और संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष थे। आंबेडकर ने समाज में जातिगत भेदभाव और छुआछूत के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने स्वतंत्र मजदूर पार्टी की स्थापना की और छुआछूत के खिलाफ सक्रिय आंदोलन चलाए। बौद्ध धर्म अपनाकर उन्होंने सामाजिक समानता का संदेश दिया। आंबेडकर न केवल एक विद्वान और समाज सुधारक थे, बल्कि भारत के पहले कानून मंत्री भी थे। उनकी विरासत आज भी सामाजिक न्याय और समानता की लड़ाई में प्रेरणा देती है।
अटल बिहारी वाजपेयी: भारत के कवि-हृदय राजनेता
अटल बिहारी वाजपेयी (25 दिसंबर 1924 – 16 अगस्त 2018) भारत के दसवें प्रधानमंत्री और मध्य प्रदेश के ग्वालियर के गौरव थे। 16 साल की उम्र में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े और आर्य समाज की युवा शाखा, आर्य कुमार सभा, में सक्रिय रहे। उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया और अपनी लेखनी व वक्तृत्व से लोगों को प्रेरित किया। वाजपेयी एक कवि, पत्रकार, और राजनेता थे, जिन्होंने अपनी सादगी और दूरदर्शिता से देश को नई दिशा दी। परमाणु परीक्षण से लेकर स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना तक, उनके नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत किया। उनकी कविता “हार नहीं मानूंगा” उनकी दृढ़ता और आशावाद को दर्शाती है।
तांत्या भील और रमेश चंद्र अग्रवाल: मध्य प्रदेश के अन्य रत्न
तांत्या भील (26 जनवरी 1842 – 4 दिसंबर 1889), जिन्हें क्रांति सूर्य जननायक तांत्या मामा कहा जाता है, मध्य प्रदेश के खंडवा में जन्मे थे। वे भील जनजाति के स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें “भारत का रॉबिन हुड” कहा जाता है। 12 साल तक उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खजानों को लूटकर गरीबों में बांटा। 1889 में जबलपुर में उन्हें फांसी दी गई, और उनकी शहादत आज भी मध्य प्रदेश में बलिदान दिवस के रूप में मनाई जाती है। दूसरी ओर, रमेश चंद्र अग्रवाल (30 नवंबर 1944 – 12 अप्रैल 2017) एक सफल उद्यमी थे, जिन्होंने 1958 में भोपाल से दैनिक भास्कर अखबार शुरू किया। आज यह अखबार 14 राज्यों में 62 संस्करणों के साथ 1.5 करोड़ पाठकों तक पहुंचता है। 2012 में फोर्ब्स ने उन्हें भारत के 95वें सबसे अमीर व्यक्ति के रूप में स्थान दिया। इन दोनों की कहानियां मध्य प्रदेश की विविधता और प्रतिभा को दर्शाती हैं।
नरेंद्र कर्माकर: गणित का जादूगर
नरेंद्र कृष्ण कर्माकर (1956 में जन्म) ग्वालियर के एक प्रसिद्ध गणितज्ञ हैं, जिन्होंने 1984 में कर्माकर एल्गोरिदम विकसित किया। यह एल्गोरिदम रैखिक प्रोग्रामिंग समस्याओं को तेजी से हल करने के लिए जाना जाता है और इसे “इंटीरियर पॉइंट मेथड” कहा जाता है। इस खोज ने गणित और कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला दी। कर्माकर को 2000 में पेरिस कनेलकिस पुरस्कार, 1999 में श्रीनिवास रामानुजन जन्म शताब्दी पुरस्कार, और 1978 में IIT बॉम्बे से राष्ट्रपति स्वर्ण पदक जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिले। वे ISI (इंस्टीट्यूट फॉर साइंटिफिक इन्फॉर्मेशन) के अत्यधिक उद्धृत शोधकर्ताओं में शामिल हैं। कर्माकर की उपलब्धियां मध्य प्रदेश की बौद्धिक शक्ति को दर्शाती हैं और यह साबित करती हैं कि यह राज्य न केवल इतिहास, बल्कि आधुनिक विज्ञान में भी अग्रणी है।