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Maharashtra Language Dispute: क्या होगी भाषा के नाम पर हिंसा की सजा? सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर राज ठाकरे!

On: July 19, 2025 11:50 AM
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Maharashtra Language Dispute: क्या होगी भाषा के नाम पर हिंसा की सजा? सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर राज ठाकरे!
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Maharashtra Language Dispute: महाराष्ट्र में भाषा के नाम पर हो रही राजनीति अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। मुंबई निवासी वकील घनश्याम दयालु उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ता अन्य राज्यों से आए लोगों पर हिंसा करते हैं और भाषा को लेकर राजनीति करते हैं जो संविधान की भावना के खिलाफ है।

लालिता कुमारी फैसले की दुहाई

इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से यह आग्रह किया गया है कि वह लालिता कुमारी केस में दिए गए दिशा-निर्देशों को पूरे देश में लागू करने का आदेश दे। लालिता कुमारी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि संज्ञेय अपराध की सूचना मिलते ही पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी होगी और टालमटोल करने पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

Maharashtra Language Dispute: क्या होगी भाषा के नाम पर हिंसा की सजा? सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर राज ठाकरे!

 चुनाव आयोग को भी बनाया गया पक्षकार

वकील घनश्याम उपाध्याय द्वारा दायर इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार के साथ-साथ भारत निर्वाचन आयोग को भी पक्षकार बनाया गया है। उनका कहना है कि जब कोई नेता या पार्टी भाषा के नाम पर लोगों को बांटती है और हिंसा फैलाती है तो यह चुनावी नैतिकता और संविधान के खिलाफ है। ऐसे में चुनाव आयोग को भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट से संवैधानिक रक्षा की अपील

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करे और राज्य सरकार तथा अन्य संबंधित संस्थाओं को निर्देश दे कि वे संविधान की रक्षा करें। यह मामला केवल एक व्यक्ति या पार्टी का नहीं बल्कि देश में भाषा और क्षेत्र के आधार पर राजनीति करने की प्रवृत्ति को रोकने से जुड़ा है।

 भाषा नहीं, संविधान की भावना सर्वोपरि

यह मामला यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या भाषा के आधार पर किसी को अपमानित करना या हिंसा करना जायज है। संविधान हर नागरिक को बराबरी का अधिकार देता है और ऐसी कोई भी हरकत जो लोगों को बांटने का प्रयास करे, न केवल गैरकानूनी है बल्कि लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है।

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