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lT Stocks Rally: शेयर बाजार में गिरावट के बीच आईटी सेक्टर में जबरदस्त उछाल, इनफोसिस से विप्रो तक छाया जोश

On: July 2, 2025 2:36 PM
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lT Stocks Rally: शेयर बाजार में गिरावट के बीच आईटी सेक्टर में जबरदस्त उछाल, इनफोसिस से विप्रो तक छाया जोश
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lT Stocks Rally: बुधवार को घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का माहौल रहा। वैश्विक शेयर बाजारों में मिला-जुला कारोबार देखने को मिला, जिसका असर भारत में भी दिखा। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स करीब 200 अंकों की गिरावट के साथ लाल निशान में कारोबार कर रहा था। एनएसई निफ्टी 50 भी नीचे की ओर था। लेकिन इस गिरावट के बीच आईटी सेक्टर में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। इन्फोसिस से लेकर विप्रो तक, तमाम आईटी कंपनियों के शेयरों में तेजी आई। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस गिरते बाजार में आईटी सेक्टर की इस रैली की वजह क्या है? आइए, इसे समझते हैं।

हाल ही में मशहूर ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व सितंबर 2025 में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। पहले इस फर्म ने दिसंबर 2025 की भविष्यवाणी की थी, लेकिन अब इसे पहले करने की बात कही जा रही है। इसका बड़ा कारण है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ, जिनके चलते मुद्रास्फीति (इन्फ्लेशन) पहले की तुलना में कम रहने की उम्मीद है। कम इन्फ्लेशन का मतलब है कि फेडरल रिजर्व के लिए ब्याज दरों में कटौती का रास्ता आसान हो सकता है। यह खबर भारतीय आईटी कंपनियों के लिए किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं है, क्योंकि इनका बड़ा कारोबार अमेरिकी बाजार पर निर्भर करता है।

जेरोम पॉवेल का बयान और बढ़ी उम्मीदें

हाल ही में पुर्तगाल में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने साफ किया कि ब्याज दरों में किसी भी तरह की कटौती से पहले वे आर्थिक आंकड़ों का इंतजार करेंगे। लेकिन उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह कटौती जुलाई 2025 की शुरुआत में भी संभव है। पॉवेल के इस बयान ने निवेशकों के बीच एक नई उम्मीद जगा दी है। उनके इस ‘डोविश’ रुख, यानी ब्याज दरों में कटौती के पक्ष में बयान, ने बाजार में सकारात्मक माहौल बनाया। खास तौर पर भारतीय आईटी कंपनियों के लिए यह बयान किसी बूस्टर डोज की तरह काम कर रहा है, क्योंकि ये कंपनियां अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती का सीधा फायदा उठाती हैं।

lT Stocks Rally: शेयर बाजार में गिरावट के बीच आईटी सेक्टर में जबरदस्त उछाल, इनफोसिस से विप्रो तक छाया जोश

आईटी कंपनियों को क्यों मिल रही है ताकत?

पॉवेल के बयान और रेट कट की संभावना ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। भारतीय आईटी फर्म्स, जैसे इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो और टेक महिंद्रा, अमेरिकी ग्राहकों से अपनी बड़ी कमाई करती हैं। जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती करता है, तो वहां की कंपनियों को सस्ते में कर्ज मिलता है। इससे उनकी नकदी बढ़ती है, और वे तकनीकी सेवाओं और प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा खर्च कर पाती हैं। इसका सीधा फायदा भारतीय आईटी कंपनियों को मिलता है, क्योंकि अमेरिकी कंपनियां उनके सबसे बड़े क्लाइंट हैं। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार फेडरल रिजर्व 75 से 100 बेसिस पॉइंट्स (0.75% से 1%) तक की कटौती कर सकता है, जो भारतीय आईटी सेक्टर के लिए बड़ी राहत होगी।

अमेरिकी ग्राहकों पर निर्भरता और मुनाफे

भारतीय आईटी कंपनियों का कारोबार अमेरिकी ग्राहकों पर बहुत हद तक निर्भर है। इन्फोसिस की सालाना आय का 60% से ज्यादा हिस्सा उत्तर अमेरिका से आता है, जबकि टीसीएस की 55% और विप्रो की 60% आय अमेरिकी बाजार से है। ब्याज दरों में कटौती से अमेरिकी कंपनियों का खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिसका मतलब है कि वे भारतीय आईटी फर्म्स के साथ ज्यादा डील्स करेंगी। इससे इन कंपनियों की आय और मुनाफे में बढ़ोतरी होगी। निवेशकों को उम्मीद है कि रेट कट के बाद बैंपंक्ड-फाइनेंशियल सर्विसेज (BFSI) सेक्टर में खर्च बढ़ेगा, जो भारतीय आईटी कंपनियों के लिए बड़ा ग्रोथ ड्राइवर हो सकता है। नतीजतन, बुधवार को निफ्टी आईटी इंडेक्स में 1.8% की तेजी देखी गई, जिसमें इन्फोसिस के शेयर 3% और विप्रो के 2% उछले।

भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

हालांकि रेट कट की उम्मीदों ने आईटी सेक्टर में उत्साह बढ़ाया है, लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। ट्रम्प प्रशासन की टैरिफ नीतियों और संभावित इन्फ्लेशन दबावों से अनिश्चितता बनी हुई है। अगर टैरिफ बढ़ते हैं, तो अमेरिकी कंपनियों का खर्च प्रभावित हो सकता है, जिसका असर भारतीय आईटी फर्म्स पर पड़ सकता है। फिर भी, मौजूदा सकारात्मक माहौल और तकनीकी खर्च में बढ़ोतरी की उम्मीद ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है। निफ्टी आईटी इंडेक्स ने हाल के महीनों में अच्छा प्रदर्शन किया है, और विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर में रेट कट की पुष्टि होने पर यह रैली और तेज हो सकती है। भारतीय आईटी सेक्टर के लिए यह एक सुनहरा मौका हो सकता है, बशर्ते वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां अनुकूल रहें।

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