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Haihaya dynasty: नर्मदा किनारे बसी महिष्मती की गाथा, जहां से आरंभ हुआ हैहय वंश का वैभव

On: June 26, 2025 2:18 PM
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Haihaya dynasty: नर्मदा किनारे बसी महिष्मती की गाथा, जहां से आरंभ हुआ हैहय वंश का वैभव
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Haihaya dynasty: हैहय वंश (संस्कृत: हैहय) प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली यदुवंशी राजवंश था, जिसने मध्य और पश्चिमी भारत, खासकर आज के मध्य प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में शासन किया। इस वंश की राजधानी महिष्मती थी, जो नर्मदा नदी के किनारे बसी थी और आज के मध्य प्रदेश में स्थित है। हैहय वंश के सबसे प्रसिद्ध राजा कर्तवीर्य अर्जुन थे, जिन्हें सहस्रबाहु के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने न केवल कई राज्यों पर विजय प्राप्त की, बल्कि लंका के राजा रावण को भी हराया था। हैहय वंश पांच गणों—वितिहोत्र, शर्यात, भोज, अवंती और तुंडिकेर—का एक संगठन था, जो यदु से अपनी उत्पत्ति मानता था। इस वंश का अंत भृगु वंश के योद्धा परशुराम के हाथों हुआ, जिन्होंने हैहयों से बदला लिया। आइए, इस प्राचीन वंश की कहानी को और करीब से जानते हैं।

हैहय वंश यदुवंशी चंद्रवंशी क्षत्रियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। हरिवंश पुराण (34.1898) के अनुसार, हैहय यदु के परपोते और सहस्रजित के पोते थे। विष्णु पुराण (IV.11) में हैहय वंश के पांच गणों—वितिहोत्र, शर्यात, भोज, अवंती और तुंडिकेर—को तालजंघ के रूप में एक साथ उल्लेखित किया गया है। यह वंश मुख्य रूप से आज के मालवा क्षेत्र, यानी पश्चिमी मध्य प्रदेश में सक्रिय था। हैहयों को अवंती का पहला शासक वंश माना जाता है। इस वंश ने अपनी सैन्य शक्ति और संगठन के दम पर मध्य भारत में अपनी सत्ता स्थापित की थी। तालजंघ नामक एक संबद्ध राज्य हैहय साम्राज्य के पूर्व में था, जो उनके सहयोगी के रूप में जाना जाता था।

महिष्मती: हैहयों की राजधानी

हैहय वंश की राजधानी महिष्मती थी, जो नर्मदा नदी के तट पर बसी थी। हरिवंश पुराण (33.1847) के अनुसार, महिष्मती शहर की स्थापना यदु के वंशज और सहंज के पुत्र महिष्मंत ने की थी। हालांकि, एक अन्य उल्लेख में कहा गया है कि भगवान राम के पूर्वज मुचुकुंद ने महिष्मती और ऋक्ष पर्वतों में पुरिका शहर की स्थापना की थी। पद्म पुराण (VI.115) में यह भी कहा गया है कि इस शहर को एक महिष नामक व्यक्ति ने बसाया था। कर्तवीर्य अर्जुन ने महिष्मती को नागों के सरदार कर्कोटक से जीतकर इसे अपनी किलेदार राजधानी बनाया। यह शहर न केवल हैहयों का प्रशासनिक केंद्र था, बल्कि एक सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र भी था, जो उस समय की समृद्धि का प्रतीक था।

कर्तवीर्य अर्जुन: हैहय वंश का गौरव

हैहय वंश का सबसे प्रसिद्ध राजा कर्तवीर्य अर्जुन था, जिसे सहस्रबाहु के नाम से जाना जाता है। उन्हें सम्राट और चक्रवर्ती कहा गया, और उनका नाम ऋग्वेद (VIII.45.26) में भी मिलता है। कर्तवीर्य ने अपनी सैन्य शक्ति के दम पर कई राज्यों को जीता और लंका के राजा रावण को भी हराकर बंदी बनाया। उन्होंने दत्तात्रेय की तपस्या की और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। लेकिन उनकी कहानी तब दुखद मोड़ लेती-when है, जब उनके पुत्रों ने भृगु वंश के ऋषि जमदग्नि की हत्या कर दी। इसका बदला लेने के लिए जमदग्नि के पुत्र परशुराम ने कर्तवीर्य अर्जुन को मार डाला। कर्तवीर्य के बाद उनके पुत्र जयध्वज और फिर तालजंघ ने सिंहासन संभाला। कर्तवीर्य की वीरता और शक्ति ने हैहय वंश को अमर बना दिया, लेकिन परशुराम के हाथों उनकी हार ने इस वंश को कमजोर कर दिया।

वितिहोत्र और अवंती का उदय

कर्तवीर्य अर्जुन के बाद हैहय वंश में वितिहोत्र गण का दबदबा बढ़ा। पुराणों के अनुसार, वितिहोत्र तालजंघ का परपोता और कर्तवीर्य का परपोता था। वितिहोत्र के पुत्र अनंत और अनंत के पुत्र दुर्जय अमित्रकर्षण भी इस वंश के महत्वपूर्ण शासक थे। इस दौरान हैहय वंश का क्षेत्र मध्य गंगा घाटी तक फैल गया, लेकिन इक्ष्वाकु वंश के राजा सागर ने उनकी इस विस्तारवादी नीति को रोक दिया। बाद में अवंती क्षेत्र दो हिस्सों में बंट गया—महिष्मती और उज्जयिनी (आज का उज्जैन)। महागोविंदसुत्तंत के अनुसार, अवंती के राजा वेस्सभु (विश्वभु) ने महिष्मती को अपनी राजधानी बनाया, जो संभवतः वितिहोत्र वंश का शासक था। मछ्य पुराण (5.37) के अनुसार, उज्जयिनी के आखिरी वितिहोत्र राजा रिपुंजय को उनके मंत्री पुलिक ने मार डाला और उनके पुत्र प्रद्योत को राजा बनाया।

हैहय वंश का पतन और विरासत

हैहय वंश का अंत परशुराम के हाथों हुआ, जिन्होंने कर्तवीर्य अर्जुन और उनके वंशजों को नष्ट कर दिया। परशुराम का यह प्रतिशोध जमदग्नि की हत्या का बदला था। इसके बाद हैहय वंश की सत्ता धीरे-धीरे कमजोर पड़ गई, और पांडुवंशी वंश ने उनकी जगह ले ली। हैहय वंश ने अपने समय में मध्य भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य स्थापित किया था, और उनकी राजधानी महिष्मती उस समय की समृद्धि और वैभव का प्रतीक थी। पुराणों और महाभारत में इस वंश का बार-बार उल्लेख इसकी महत्ता को दर्शाता है। आज भी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र और नर्मदा के तट पर बसे इस प्राचीन शहर की कहानियां इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को आकर्षित करती हैं। हैहय वंश की यह गाथा हमें प्राचीन भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक विविधता की एक झलक देती है, जो आज भी प्रासंगिक है।

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