Damoh News: दमोह जिले के झालोन वन रेंज के दुकर्सट्टा बीट में वन विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। गुरुवार रात को वन माफिया द्वारा सागौन की लकड़ी की तस्करी की कोशिश को वन कर्मियों ने नाकाम कर दिया। माफिया एक स्कॉर्पियो वाहन में सागौन की लकड़ी ले जा रहे थे, जिसे वन विभाग की टीम ने घेराबंदी कर पकड़ लिया। वाहन के अंदर सागौन की लकड़ी के बड़े-बड़े लट्ठे भरे हुए थे। यह क्षेत्र सागौन के घने जंगलों के लिए जाना जाता है, और वन माफिया लंबे समय से इन बेशकीमती पेड़ों पर नजर रखे हुए थे। इस कार्रवाई ने माफिया के मंसूबों पर पानी फेर दिया और वन विभाग की सतर्कता को उजागर किया।
गुप्त सूचना पर शुरू हुई कार्रवाई
झालोन रेंज के रेंजर सतीश मसीह ने बताया कि उन्हें गुप्तचर से सूचना मिली थी कि एक चार पहिया वाहन दुकर्सट्टा बीट में सागौन की लकड़ी चुराने के लिए घुसा है और रात के समय वहां से निकलेगा। इस सूचना के आधार पर तुरंत कार्रवाई शुरू की गई। वन विभाग की टीम ने रात में ही क्षेत्र की घेराबंदी कर दी। जब वन कर्मियों ने जंगल के अंदर तलाशी शुरू की, तो उन्हें झालोन बीट के पास झाड़ियों में छिपा हुआ एक लाल रंग का स्कॉर्पियो वाहन मिला। वाहन में सागौन की लकड़ी के चार बड़े गट्ठर भरे हुए थे। हालांकि, इस दौरान माफिया मौके से फरार हो गए, लेकिन वाहन और उसमें लदी लकड़ी को जब्त कर लिया गया।
सागौन की अवैध कटाई का स्थान
जांच में पता चला कि सागौन की अवैध कटाई दुकर्सट्टा बीट के अंतर्गत आने वाले आरएफ कमरा नंबर 156 में हुई थी। यहीं से माफिया ने सागौन के पेड़ काटकर लकड़ी लोड की थी। स्कॉर्पियो वाहन जंगल के रास्ते से गुजर रहा था, लेकिन रास्ते में उसका एक टायर पंचर हो गया। इस वजह से माफिया ने वाहन को झालोन बीट में झाड़ियों के बीच छिपा दिया और मौके से भाग गए। वन विभाग की त्वरित कार्रवाई के कारण माफिया अपनी योजना में कामयाब नहीं हो सके। जब्त किए गए वाहन को झालोन रेंज के कार्यालय लाया गया, जहां लकड़ी को जब्त करने की कार्रवाई की गई।

लाखों रुपये की सागौन लकड़ी जब्त
रेंजर सतीश मसीह के अनुसार, जब्त की गई सागौन की लकड़ी की कीमत एक लाख दस हजार रुपये से अधिक है। यह लकड़ी उच्च गुणवत्ता की थी, जिसे माफिया ने बड़े पैमाने पर तस्करी के लिए तैयार किया था। सागौन की लकड़ी की मांग बाजार में बहुत अधिक है, और यही वजह है कि वन माफिया इस क्षेत्र को निशाना बनाते हैं। रेंजर ने बताया कि दुकर्सट्टा बीट में सागौन के विशाल पेड़ हैं, जो माफिया के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। वन विभाग को लगातार अवैध कटाई की सूचनाएं मिल रही थीं, और इस बार गुप्तचर की सटीक जानकारी ने माफिया को पकड़ने में मदद की। वन विभाग अब इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है, ताकि फरार माफिया को पकड़ा जा सके।
वन विभाग की चुनौतियां
झालोन वन रेंज का एक बड़ा हिस्सा वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व में शामिल हो चुका है। इस वजह से इस रेंज में अब केवल एक रेंजर और एक सर्कल ऑफिसर ही बचे हैं। इतने बड़े क्षेत्र की निगरानी करना और माफिया की गतिविधियों पर अंकुश लगाना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। फिर भी, वन कर्मियों की सतर्कता और समर्पण ने इस कार्रवाई को सफल बनाया। सतीश मसीह ने बताया कि वन माफिया अक्सर रात के अंधेरे में अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं, जिसके कारण उनकी गतिविधियों को ट्रैक करना मुश्किल होता है। लेकिन गुप्तचरों के नेटवर्क और वन कर्मियों की मेहनत ने इस बार माफिया को करारा जवाब दिया है।
भविष्य में और सख्ती की जरूरत
यह कार्रवाई वन माफिया के खिलाफ एक बड़ी जीत है, लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं है। दमोह जिले के जंगलों में सागौन की लकड़ी की तस्करी लंबे समय से चल रही है। वन विभाग को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए और अधिक संसाधनों और कर्मचारियों की जरूरत है। स्थानीय समुदाय को भी जंगल संरक्षण के लिए जागरूक करने की आवश्यकता है, ताकि वे माफिया के बहकावे में न आएं। वन विभाग अब इस मामले में फरार माफिया की तलाश में जुटा है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने की योजना बना रहा है। यह कार्रवाई न केवल वन माफिया के लिए एक चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वन विभाग अपने संसाधनों के बावजूद प्रकृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।