CNG and PNG Rates: देशभर के सीएनजी और पीएनजी उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने नई एकीकृत टैरिफ नीति को मंजूरी दे दी है। इससे कई शहरों में सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में कमी आने की संभावना है। यह नई नीति न केवल उपभोक्ताओं के लिए राहत लाएगी, बल्कि स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी। सरकार की इस पहल से पर्यावरण के साथ-साथ लोगों की जेब को भी फायदा होगा। आइए, इस खबर को और करीब से समझते हैं और जानते हैं कि यह बदलाव कैसे आपके जीवन को प्रभावित कर सकता है।
टैरिफ जोन में बदलाव की तैयारी
सीएनबीसी-आवाज की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीएनजीआरबी ने टैरिफ जोन को तीन से घटाकर दो करने की योजना बनाई है। अभी तक देश को तीन टैरिफ जोन में बांटा गया था, जहां गैस स्रोत से दूरी के आधार पर कीमतें तय होती थीं। लेकिन अब नई नीति के तहत देश को सिर्फ दो जोन में बांटा जाएगा। इससे ज्यादा शहरों और लोगों को एकसमान टैरिफ का फायदा मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक, अगले दो से तीन दिनों में इसकी आधिकारिक घोषणा हो सकती है। यह बदलाव खासकर उन दूरदराज के इलाकों के लिए फायदेमंद होगा, जहां अभी तक सीएनजी और पीएनजी की कीमतें ज्यादा थीं। यह नई नीति ‘एक देश, एक टैरिफ’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
एकीकृत टैरिफ से क्या बदलेगा?
पहले सीएनजी और पीएनजी की कीमतें इस बात पर निर्भर करती थीं कि आपका इलाका गैस स्रोत या फिलिंग स्टेशन से कितना दूर है। दूर के इलाकों में कीमतें ज्यादा थीं, जबकि स्रोत के नजदीक वाले क्षेत्रों में कम। लेकिन नई एकीकृत टैरिफ नीति के तहत, एक ही जोन में आने वाले सभी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें एकसमान होंगी। यानी, अब दिल्ली में जो कीमत होगी, वही गाजियाबाद या उस जोन के किसी अन्य शहर में भी लागू होगी। इससे खासकर उन शहरों में राहत मिलेगी, जो गैस स्रोत से दूर हैं। कुछ जगहों पर कीमतें थोड़ी बढ़ सकती हैं, लेकिन ज्यादातर दूरदराज के इलाकों में कीमतें कम होने की उम्मीद है। यह नीति गैस की कीमतों को पारदर्शी और स्थिर बनाने में मदद करेगी।
CNG और PNG के फायदे
सीएनजी और पीएनजी दोनों ही पर्यावरण के लिए अनुकूल ईंधन हैं। ये न केवल प्रदूषण को कम करते हैं, बल्कि जेब पर भी कम बोझ डालते हैं। सीएनजी पेट्रोल की तुलना में सस्ता है, जिससे वाहन चालकों को काफी बचत होती है। वहीं, पीएनजी एलपीजी सिलेंडर से सस्ता और सुविधाजनक है, क्योंकि यह पाइपलाइन के जरिए सीधे घरों तक पहुंचता है। आपको बार-बार सिलेंडर बुक करने या बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। सरकार की ‘कॉमन मिनिमम प्रोग्राम’ योजना के तहत 2030 तक देश में 12 करोड़ घरेलू पीएनजी कनेक्शन और 2025 तक 17,500 सीएनजी स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है। नई टैरिफ नीति इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी, क्योंकि यह दूरदराज के इलाकों में गैस नेटवर्क के विस्तार को बढ़ावा देगी।
दूरदराज के इलाकों को प्रोत्साहन
नई टैरिफ नीति का एक खास पहलू यह है कि यह दूरदराज के इलाकों में गैस नेटवर्क के विकास को प्रोत्साहित करेगी। पीएनजीआरबी ने उन कंपनियों के लिए प्रोत्साहन की व्यवस्था की है, जो दूरस्थ क्षेत्रों में सीएनजी और पीएनजी की सुविधाएं शुरू करेंगी। इससे उन इलाकों में भी स्वच्छ ईंधन की पहुंच बढ़ेगी, जहां अभी तक यह सुविधा सीमित थी। इस नीति से गैस पाइपलाइन और फिलिंग स्टेशनों का तेजी से विस्तार होगा, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग सीएनजी और पीएनजी का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है, बल्कि उद्योगों और व्यवसायों के लिए भी एकसमान कीमतों से स्थिरता आएगी। इससे भारत की गैस-आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्य भी पूरे होंगे।
उपभोक्ताओं पर क्या होगा असर?
नई एकीकृत टैरिफ नीति का सीधा असर सीएनजी और पीएनजी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि आपके शहर में कीमतें कम होंगी या बढ़ेंगी, क्योंकि यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका शहर किस नए टैरिफ जोन में आएगा और वहां मौजूदा कीमतें क्या हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में, जो गैस स्रोत के करीब हैं, कीमतों में मामूली बढ़ोतरी हो सकती है, जबकि दूर के शहरों में कीमतें कम हो सकती हैं। फिर भी, यह नीति स्वच्छ ईंधन को और सस्ता और सुलभ बनाएगी, जिससे पेट्रोल और डीजल जैसे तरल ईंधनों से मुकाबला आसान होगा। यह बदलाव भारत के 2030 तक प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 6.5% से बढ़ाकर 15% करने के लक्ष्य को भी सपोर्ट करेगा। कुल मिलाकर, यह नीति उपभोक्ताओं और पर्यावरण दोनों के लिए एक सकारात्मक कदम है।