Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कोविड-19 के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं, जिसने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को हाई अलर्ट मोड पर ला दिया है। गुरुवार को राज्य में 12 नए कोविड मरीज पाए गए, जिनमें 6 रायपुर, 4 बिलासपुर और 2 दुर्ग से हैं। इसके साथ ही, 15 मरीज ठीक भी हुए हैं। अब तक राज्य में कुल 87 कोविड मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 45 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि 42 अभी भी सक्रिय हैं। इनमें से 35 मरीज होम आइसोलेशन में हैं, 6 मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत है, और रायपुर में एक मरीज आईसीयू में भर्ती है। स्वास्थ्य विभाग ने इस बढ़ती संख्या को गंभीरता से लिया है और सभी सरकारी जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों का प्रशिक्षण शुरू कर दिया है। मेकाहारा के डॉ. आरके पांडा के अनुसार, ज्यादातर मरीज होम क्वारंटाइन में ही ठीक हो रहे हैं, लेकिन यह स्थिति उन लोगों के लिए चिंताजनक है, जिन्हें पहले से अन्य बीमारियां हैं।
मई में सबसे ज्यादा मामले
पिछले चार दिनों में कुल 25 कोविड मामले सामने आए हैं, और इस महीने में सबसे ज्यादा मरीज 6 मई को पाए गए थे। उस दिन एक ही दिन में 17 नए मरीज दर्ज किए गए, जिनमें 11 रायपुर, 5 बिलासपुर और 1 बलौद से थे। यह नया कोविड वेरिएंट सामने आने के बाद एक दिन में सबसे ज्यादा मामलों की संख्या थी। अब तक राज्य के छह जिलों—रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, बलौद, बस्तर और बेमेतरा—में कोविड मरीज पाए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इस स्थिति से निपटने के लिए व्यापक तैयारी शुरू कर दी है। नमूना संग्रह से लेकर कोविड मरीजों के इलाज तक, कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा, आपात स्थिति से निपटने के लिए मॉक ड्रिल भी आयोजित किए गए हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी आपातकालीन स्थिति उत्पन्न होने पर स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों, प्रशासन हर स्तर पर तैयारियां कर रहा है।
जोखिम में डायबिटीज और धूम्रपान करने वाले
मेकाहारा के फुफ्फुसीय चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. आरके पांडा ने बताया कि कोविड के नए वेरिएंट जेएन.1 से ज्यादातर मरीज होम क्वारंटाइन में ठीक हो रहे हैं, लेकिन जिन लोगों को पहले से डायबिटीज या अन्य गंभीर बीमारियां हैं, उनके लिए यह वेरिएंट खतरनाक हो सकता है। विशेष रूप से चेन स्मोकर्स को इस वेरिएंट का शिकार होने का ज्यादा खतरा है। मेकाहारा में 28 मई से कोविड ओपीडी शुरू कर दी गई है, जहां कोविड के लक्षण दिखने वाले मरीजों की तुरंत जांच की जा रही है। अब तक मेकाहारा में 45 से अधिक लोगों का आरटी-पीसीआर टेस्ट किया जा चुका है, और हाल के दिनों में यह संख्या बढ़ी है। इसके लिए 15 बेड का कोविड आईसीयू भी तैयार रखा गया है, ताकि गंभीर मरीजों को तुरंत उपचार मिल सके। हालांकि, अभी तक मेकाहारा में कोविड का कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है।

ऑक्सीजन संकट की आशंका
रायपुर में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या के बीच सबसे बड़ी चिंता ऑक्सीजन आपूर्ति को लेकर है। पिछली कोविड लहर के दौरान डीकेएस, आयुर्वेदिक कॉलेज और अंबेडकर अस्पताल में पीएम केयर फंड से ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए थे, ताकि मरीजों को समय पर ऑक्सीजन मिल सके। लेकिन अब ये प्लांट बंद पड़े हैं। डीकेएस के उप अधीक्षक हेमंत शर्मा ने बताया कि उन्हें कोविड को लेकर कोई विशेष सलाह नहीं मिली है, जिसके कारण यह व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी है। डीकेएस में वर्तमान में संचालित ऑक्सीजन प्लांट, जो प्रति मिनट 900 लीटर ऑक्सीजन उत्पन्न करता है, केवल 60% मांग को पूरा कर पा रहा है। शेष 40% ऑक्सीजन निजी एजेंसियों से मंगवानी पड़ रही है। पिछले दो वर्षों में डीकेएस ने ऑक्सीजन सिलेंडरों पर लगभग 3.84 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, और हर महीने 16 लाख रुपये का बिल केवल सिलेंडर खरीदने में जा रहा है।
राष्ट्रीय स्तर पर कोविड की स्थिति
राष्ट्रीय स्तर पर कोविड-19 का नया वेरिएंट जेएन.1 देश के नौ राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में फैल चुका है। अब तक देश में 7,154 कोविड मरीज पाए गए हैं, जिनमें से 77 की मृत्यु हो चुकी है। वहीं, 6,861 मरीज ठीक हो चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नया वेरिएंट पहले की तुलना में कम खतरनाक है, और इसकी मृत्यु दर केवल 2% है। फिर भी, स्वास्थ्य विभाग सतर्क है और सभी राज्यों को ऑक्सीजन, आइसोलेशन बेड, वेंटिलेटर और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। छत्तीसगढ़ में भी स्वास्थ्य विभाग ने इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आईएलआई) और सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इलनेस (सारी) के लक्षण वाले मरीजों की तुरंत जांच करने और उनकी जानकारी इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन सेंटर को देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, मितानिनों के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर इन लक्षणों की रिपोर्टिंग को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
भविष्य की तैयारियां और चुनौतियां
छत्तीसगढ़ में कोविड मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने भविष्य की तैयारियों को और मजबूत करने का फैसला किया है। जरूरत पड़ने पर जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपल एम्स, रायपुर भेजे जा सकते हैं। इसके अलावा, अस्पतालों में आवश्यक दवाओं और सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, ऑक्सीजन प्लांट्स के बंद होने और सीमित संसाधनों के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है। एक जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की कीमत 300 से 400 रुपये के बीच है, जो केवल 4-5 मिनट तक चलता है। अगर कोविड मामले अचानक बढ़ते हैं, तो सरकारी व्यवस्था मांग को पूरा करने में असमर्थ हो सकती है, और लोगों को निजी सिलेंडरों पर निर्भर होना पड़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सर्दी-खांसी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएं और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें।