CG News: छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा की 6 करोड़ 10 लाख रुपये की संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त किया है। इन संपत्तियों में सुकमा का जिला कांग्रेस कार्यालय भी शामिल है। यह पहला मौका है जब ईडी ने किसी राजनीतिक दल के कार्यालय पर इस तरह की कार्रवाई की है। इस कदम ने न केवल राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, बल्कि इसे लेकर छत्तीसगढ़ में सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है।
पहली बार किसी राजनीतिक दल के कार्यालय पर कार्रवाई
ईडी की इस कार्रवाई को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे दुर्भावनापूर्ण और राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की केंद्र सरकार के इशारे पर की गई है, ताकि कांग्रेस नेताओं को बदनाम किया जाए। ईडी ने कहा कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत की गई है, जो शराब घोटाले से अवैध रूप से कमाए गए धन से जुड़ी है। जब्त की गई संपत्तियों में रायपुर और सुकमा में स्थित प्लॉट, मकान, बैंक खातों में जमा राशि और सुकमा का जिला कांग्रेस कार्यालय शामिल है, जो हरीश लखमा के नाम पर रजिस्टर्ड है। यह कार्यालय छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नाम पर है।
कवासी लखमा और हरीश पर ईडी की नजर
ईडी ने 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के रायपुर, सुकमा और धमतरी जिले में स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद 15 जनवरी 2025 को कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया गया। तब से वे रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं। ईडी का दावा है कि कवासी लखमा ने आबकारी मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल (2018-2023) के दौरान शराब घोटाले से हर महीने 2 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की, जो 36 महीनों में कुल 72 करोड़ रुपये हो गई। इस राशि का इस्तेमाल सुकमा में कांग्रेस भवन और लखमा परिवार की अन्य संपत्तियों के निर्माण में किया गया।

शराब घोटाले में 21 लोग आरोपी
ईडी की जांच में इस शराब घोटाले में कुल 21 लोगों को आरोपी बनाया गया है। यह घोटाला पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2019-2022) के दौरान हुआ। ईडी की 6,000 पेज की चार्जशीट के अनुसार, इस घोटाले का मास्टरमाइंड रायपुर के पूर्व मेयर और कांग्रेस नेता एजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर था। अनवर ने 2017 में आबकारी नीति में बदलाव करके इस घोटाले को अंजाम दिया। इस साजिश में आबकारी विभाग के अधिकारी, कारोबारी और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोग शामिल थे। ईडी का कहना है कि इस घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और घोटालेबाजों ने 2161 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।
घोटाले का तरीका और ईडी की जांच
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि शराब घोटाला कई तरीकों से किया गया। छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीएसएमसीएल), जो शराब की खरीद और बिक्री के लिए जिम्मेदार सरकारी संस्था है, ने डिस्टिलरों से प्रति केस शराब खरीदने के लिए रिश्वत वसूली। इसके अलावा, देसी शराब की “कच्ची” बिक्री को बहीखातों में दर्ज नहीं किया गया, और इसकी पूरी कमाई सिंडिकेट ने हड़प ली। ईडी ने इस मामले में अब तक 205 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है और पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। कवासी लखमा को इस सिंडिकेट का एक अहम हिस्सा बताया गया है, जिन्होंने न केवल घोटाले को रोकने के लिए कुछ नहीं किया, बल्कि नीतियों में बदलाव करके सिंडिकेट की मदद भी की।
सियासी विवाद और भविष्य की जांच
इस कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ में सियासी तनाव बढ़ गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी पर बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह गिरफ्तारी और संपत्ति जब्ती राजनीतिक बदले की भावना से की गई है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि कानून अपना काम करेगा और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। ईडी का कहना है कि जांच अभी जारी है और इस मामले में और भी लोग रडार पर हैं। सुकमा के कांग्रेस भवन को जब्त करने का यह कदम न केवल कानूनी, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक है। यह देखना होगा कि इस मामले में आगे क्या खुलासे होते हैं और यह छत्तीसगढ़ की सियासत को कैसे प्रभावित करता है।