Live Button LIVE

CG Charan Paduka Yojana: वनवासियों के सम्मान में चरण पादुका योजना फिर शुरू, सीएम साय ने खुद पहनाए जूते

CG Charan Paduka Yojana: वनवासियों के सम्मान में चरण पादुका योजना फिर शुरू, सीएम साय ने खुद पहनाए जूते

CG Charan Paduka Yojana: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 29 जून, 2025 को दुर्ग जिले के जामगांव में आयोजित एक समारोह में चरण पादुका योजना का पुनः शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने महिला तेंदूपत्ता संग्राहकों को स्वयं चरण पादुका (जूते) पहनाकर उनकी मेहनत को सम्मानित किया। यह योजना छत्तीसगढ़ के 12 लाख 40 हजार से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मोदी की गारंटी’ का हिस्सा है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि उनकी सरकार वनवासियों और तेंदूपत्ता संग्राहकों के जीवन स्तर को सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह योजना न केवल संग्राहकों को सुरक्षात्मक जूते प्रदान करती है, बल्कि उनके आत्मसम्मान और कठिन परिश्रम को भी सम्मान देती है। यह लेख योजना के महत्व, इसके प्रभाव, और छत्तीसगढ़ के वनवासियों के लिए इसके दीर्घकालिक लाभों पर प्रकाश डालता है।

चरण पादुका योजना का पुनः शुभारंभ

जामगांव, दुर्ग में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महिला तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका पहनाकर इस योजना को पुनर्जनन प्रदान किया। यह योजना पहले 2005 में शुरू की गई थी, लेकिन बाद में इसे बंद कर दिया गया था। साय सरकार ने इसे दोबारा शुरू करके तेंदूपत्ता संग्राहकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। समारोह में, मुख्यमंत्री ने बालोद जिले के बधभूम गांव की लाभार्थी श्रीमती शकुंतला कुरैती और अन्य महिलाओं को जूते प्रदान किए, जिसे संवेदनशील नेतृत्व का प्रतीक माना गया। यह योजना छत्तीसगढ़ के 44.1% वन क्षेत्र में कार्यरत संग्राहकों के लिए एक वरदान है, जो कठिन परिस्थितियों में जंगलों में नंगे पैर तेंदूपत्ता इकट्ठा करते हैं।

योजना का उद्देश्य और महत्व

चरण पादुका योजना का मुख्य उद्देश्य तेंदूपत्ता संग्राहकों को सुरक्षात्मक जूते प्रदान करना है, जो जंगलों में कांटों, पत्थरों, और अन्य खतरों का सामना करते हैं। यह योजना उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके आत्मसम्मान को भी बढ़ाती है। मुख्यमंत्री साय ने कहा, “चरण पादुका योजना उन परिश्रमी हाथों के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है, जो कठिन परिस्थितियों में वन उत्पादों को इकट्ठा करते हैं।” इस योजना के तहत, 12 लाख 40 हजार से अधिक संग्राहकों को जूते प्रदान किए जाएंगे, और कुछ मामलों में साड़ी, पानी की बोतलें, और नकद सहायता जैसे अतिरिक्त लाभ भी दिए जाएंगे। यह योजना तेंदूपत्ता संग्राहकों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उनकी मेहनत को सम्मान देने का एक प्रयास है।

तेंदूपत्ता संग्राहकों का योगदान

छत्तीसगढ़ में तेंदूपत्ता संग्राहक राज्य की अर्थव्यवस्था और वन-आधारित आजीविका का एक अभिन्न अंग हैं। तेंदूपत्ता, जिसे ‘हरा सोना’ भी कहा जाता है, बीड़ी उद्योग के लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल है। राज्य सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर को ₹4,500 से बढ़ाकर ₹5,500 प्रति मानक बोरा कर दिया है, जिससे लगभग 13 लाख संग्राहक परिवारों को लाभ हुआ है। इन परिवारों का कठिन परिश्रम न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है, बल्कि छत्तीसगढ़ की वन उत्पाद परंपरा को जीवित रखता है। मुख्यमंत्री साय ने कहा, “तेंदूपत्ता संग्राहकों का परिश्रम जंगलों की पगडंडियों से राज्य की समृद्धि तक पहुंचता है।” यह योजना उनके योगदान को सम्मानित करने और उनकी कार्य परिस्थितियों को बेहतर बनाने का एक प्रयास है।

‘मोदी की गारंटी’ का हिस्सा

चरण पादुका योजना भारतीय जनता पार्टी (BJP) के चुनावी घोषणापत्र ‘मोदी की गारंटी’ का एक महत्वपूर्ण वादा थी। इस योजना का पुनः शुभारंभ इस वादे को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि उनकी सरकार पिछले 18 महीनों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वादों को प्राथमिकता के साथ लागू कर रही है। इस योजना के तहत, तेंदूपत्ता संग्राहकों को न केवल जूते प्रदान किए जा रहे हैं, बल्कि यह उनके आत्मसम्मान और कठिन परिश्रम को एक श्रद्धांजलि भी है। इसके अलावा, सरकार ने तेंदूपत्ता संग्रहण की दर बढ़ाने, आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई की स्थापना, और ‘एक पेड़ माँ के नाम’ जैसे अभियानों के माध्यम से वनवासियों के लिए कई अन्य कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं।

अन्य कल्याणकारी पहल

चरण पादुका योजना के साथ-साथ, साय सरकार ने जामगांव में एक अत्याधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई और केंद्रीय गोदाम परिसर का उद्घाटन किया। यह इकाई छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा स्थापित की गई है और स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी में एक हर्बल निष्कर्षण इकाई भी शामिल है। इस परियोजना से लगभग 2,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का 44% वन क्षेत्र आयुर्वेदिक औषधियों के लिए कच्चे माल का एक समृद्ध स्रोत है, और यह इकाई वनवासियों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी। इसके अलावा, सरकार ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को भी प्रोत्साहित किया, जिसमें प्रत्येक नागरिक से अपनी माँ और प्रकृति के नाम पर कम से कम एक पेड़ लगाने की अपील की गई।

भविष्य की संभावनाएं

चरण पादुका योजना और अन्य कल्याणकारी पहलें छत्तीसगढ़ को वन-आधारित अर्थव्यवस्था और आयुर्वेद के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। यह योजना तेंदूपत्ता संग्राहकों के जीवन में स्थायी बदलाव लाएगी और उनके आत्मसम्मान को बढ़ाएगी। भविष्य में, सरकार इस योजना के तहत और अधिक लाभ, जैसे साड़ी, पानी की बोतलें, और नकद सहायता, को शामिल कर सकती है, जैसा कि मध्य प्रदेश में इस योजना के तहत किया जाता है। साथ ही, आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई और लॉजिस्टिक्स नीति जैसे कदम छत्तीसगढ़ को निवेश और रोजगार का केंद्र बनाएंगे। यह योजना न केवल वनवासियों के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि छत्त अमृतकाल: छत्तीसगढ़ विजन 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को भी संरक्षित करती है।

Share:

WhatsApp
Telegram
Facebook
Twitter
LinkedIn