Bhopal 90 Degree Over Bridge: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐशबाग स्टेडियम के पास बना रेलवे ओवरब्रिज (ROB) अपने अजीबोगरीब 90 डिग्री के मोड़ की वजह से चर्चा और आलोचना का विषय बन गया है। इस ब्रिज को लेकर उठे सवालों के बीच मध्य प्रदेश लोक निर्माण विभाग (PWD) ने अब एक कमेटी बनाई है, जो इसकी खामियों को ठीक करने के लिए सुझाव देगी। राज्य के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने गुरुवार, 19 जून को ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) की एक टीम ने ब्रिज की जांच की और पाया कि जमीन की कमी की वजह से इस अजीब मोड़ का डिज़ाइन बनाना पड़ा। ये ब्रिज, जो 18 करोड़ रुपये की लागत से बना है, 648 मीटर लंबा और 8.5 मीटर चौड़ा है। आइए, इस पूरे मामले को छह हिस्सों में समझते हैं।
ऐशबाग स्टेडियम के पास बना ये रेलवे ओवरब्रिज अपनी 90 डिग्री की तीखी मोड़ की वजह से सोशल मीडिया और स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है। लोग इस मोड़ को देखकर हैरान हैं और इसे हादसों का कारण बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ यूज़र्स ने इसे “टेंपल रन गेम” जैसा बताया, तो कुछ ने इसे “इंजीनियरिंग का अजूबा” कहकर मज़ाक उड़ाया। कांग्रेस पार्टी ने भी इस डिज़ाइन पर सवाल उठाए और इसे “मौत का मैदान” बनने का खतरा बताया। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने इन आलोचनाओं पर जवाब देते हुए कहा कि ब्रिज का निर्माण कई तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखकर किया गया है, लेकिन अगर कोई शिकायत है, तो उसकी जांच की जाएगी। NHAI की टीम ने अपनी जांच में पाया कि मेट्रो स्टेशन और जमीन की कमी की वजह से ऐसा डिज़ाइन बनाना पड़ा।
PWD ने बनाई दो चीफ इंजीनियर्स की कमेटी
राकेश सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि इस समस्या का हल निकालने और ब्रिज को सुरक्षित बनाने के लिए दो चीफ इंजीनियर्स की एक कमेटी बनाई गई है। ये कमेटी रेलवे समेत सभी संबंधित पक्षों से बात करेगी और फिर सुधार के लिए कदम सुझाएगी। उन्होंने कहा, “हमारी कोशिश है कि ब्रिज पर लोगों का आवागमन सुरक्षित हो। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया जाएगा कि ब्रिज के इस तीखे मोड़ को कैसे सुधारा जाए ताकि ये हादसों का कारण न बने।” NHAI की जांच में ये बात सामने आई कि जमीन की कमी ने डिज़ाइन को मजबूरन ऐसा बनाया। अब PWD ने रेलवे से अतिरिक्त जमीन मांगी है, ताकि इस मोड़ को थोड़ा गोल करके वाहनों की आवाजाही को आसान बनाया जा सके।
ये रेलवे ओवरब्रिज ऐशबाग स्टेडियम के सामने बना है और इसका मकसद महमई का बाग, पुष्पा नगर, और रेलवे स्टेशन क्षेत्र को न्यू भोपाल से जोड़ना है। सरकार ने दावा किया था कि इस ब्रिज के बनने से करीब तीन लाख लोग रोज़ाना लाभान्वित होंगे। ऐशबाग रेलवे क्रॉसिंग के बंद होने के बाद लोग या तो रेलवे गेट पर लंबा इंतज़ार करते थे या फिर लंबा चक्कर लगाकर अपनी मंज़िल तक पहुंचते थे। इस ब्रिज से इन दोनों समस्याओं का हल निकलना था। 21 मार्च 2023 को शुरू हुए इस ब्रिज का निर्माण 18 महीने में पूरा होना था, लेकिन बिजली की लाइनों को हटाने और रेलवे के साथ तालमेल की कमी की वजह से इसमें 36 महीने से ज़्यादा का वक़्त लग गया। अब जब ब्रिज तैयार है, तो इसका 90 डिग्री का मोड़ इसे विवादों में घेर रहा है।
जमीन की कमी और मेट्रो स्टेशन की मजबूरी
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने इस अजीब डिज़ाइन का बचाव करते हुए कहा कि ब्रिज का निर्माण रेलवे की जमीन पर हुआ है, और पास में मेट्रो स्टेशन होने की वजह से ज़मीन की बहुत कमी थी। PWD के चीफ इंजीनियर वी.डी. वर्मा ने बताया, “मेट्रो स्टेशन की वजह से उस जगह पर ज़मीन की उपलब्धता बहुत कम थी। हमारे पास ऐसा डिज़ाइन बनाने के सिवा कोई चारा नहीं था।” उन्होंने ये भी साफ़ किया कि इस ब्रिज पर केवल छोटे वाहन चल सकेंगे, और भारी वाहनों को इसकी इजाज़त नहीं होगी। साथ ही, इंडियन रोड कांग्रेस के नियमों के मुताबिक वाहनों की गति को नियंत्रित करके इसे सुरक्षित बनाया जाएगा। लेकिन स्थानीय लोग और विशेषज्ञ इस तर्क से संतुष्ट नहीं हैं। MANIT भोपाल के ट्रैफिक विशेषज्ञ डॉ. सिद्धार्थ रोकड़े ने चेतावनी दी कि बिना रंबल स्ट्रिप्स, डिवाइडर, और स्पीड ब्रेकर जैसे उपायों के वाहन इस मोड़ पर संतुलन खो सकते हैं।
PWD ने इस मोड़ को ठीक करने के लिए रेलवे से अतिरिक्त जमीन देने की मांग की है। सूत्रों के मुताबिक, रेलवे ने इस मांग को मंज़ूरी दे दी है, और अब ब्रिज की चौड़ाई को 3 फीट बढ़ाया जाएगा। इसके लिए फुटपाथ और सेंट्रल डिवाइडर को हटाया जाएगा, ताकि मोड़ को और गोल बनाया जा सके। रेलवे के प्रवक्ता नवल अग्रवाल ने कहा, “PWD की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है। जब प्रस्ताव आएगा, हम उस पर विचार करेंगे।” NHAI की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि इस ब्रिज पर वाहनों की गति 35-40 किलोमीटर प्रति घंटा से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए, वरना हादसे का खतरा बढ़ सकता है। PWD अब इस मोड़ को सुधारने के लिए काम शुरू करने जा रही है, और बारिश के मौसम के बाद इसकी शुरुआत हो सकती है। इस सुधार से ब्रिज को सुरक्षित और उपयोगी बनाने की कोशिश की जाएगी।
आगे की राह और जनता की उम्मीदें
ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज का मामला न सिर्फ एक इंजीनियरिंग गलती को उजागर करता है, बल्कि ये भी दिखाता है कि शहरी इलाक़ों में बुनियादी ढांचे के विकास में कितनी चुनौतियां आती हैं। 18 करोड़ रुपये की लागत से बना ये ब्रिज भोपाल के लोगों के लिए एक बड़ी राहत लाने वाला था, लेकिन इसके डिज़ाइन ने इसे “मौत का मोड़” कहलवाने पर मजबूर कर दिया। सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल होने और कांग्रेस समेत जनता की आलोचना के बाद सरकार हरकत में आई है। राकेश सिंह ने वादा किया है कि दोषी इंजीनियरों पर कार्रवाई होगी और ब्रिज को सुरक्षित बनाया जाएगा। भोपाल के लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि नया डिज़ाइन उनकी मुश्किलों को हल करेगा और ये ब्रिज वाकई में महमई का बाग, पुष्पा नगर, और न्यू भोपाल को जोड़ने का एक सुरक्षित ज़रिया बनेगा। इस मामले ने ये भी सिखाया कि जनता की आवाज़ और सोशल मीडिया का दबाव सरकार को गलतियों को सुधारने पर मजबूर कर सकता है।