NAGASTRA-1R: भारतीय सेना दिन-ब-दिन और मजबूत होती जा रही है। चाहे वो जमीन हो, आसमान हो, या फिर सीमा पर दुश्मन का सामना करना हो, हमारी सेना हर मोर्चे पर तैयार है। अब सेना ने एक और बड़ा कदम उठाया है। दुश्मन को करारा जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने ‘NAGASTRA-1R’ नाम के एक खास ड्रोन को खरीदने का ऑर्डर दिया है। कुल 450 ऐसे ड्रोन सेना में शामिल होंगे। ये ड्रोन इतना खास है कि इसे ‘सुसाइड ड्रोन’ भी कहा जाता है। ये न सिर्फ दुश्मन के ठिकानों को तबाह कर सकता है, बल्कि हमारे सैनिकों की जान को भी जोखिम में डाले बिना मिशन पूरा करता है। तो चलिए, जानते हैं इस नागास्त्र-1R ड्रोन की खासियत और इसके पीछे की कहानी।
NAGASTRA-1R का स्वदेशी गौरव
नागास्त्र-1R कोई विदेशी ड्रोन नहीं है, बल्कि ये पूरी तरह से भारत में बना एक स्वदेशी हथियार है। इसे नागपुर की कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) ने डिजाइन और विकसित किया है, जो सोलर इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी है। ये ड्रोन ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ का शानदार उदाहरण है। इसकी खास बात ये है कि इसमें 80% से ज्यादा सामग्री स्वदेशी है। यानी, हम अब अपने दम पर ऐसे हाई-टेक हथियार बना रहे हैं, जो दुनिया के किसी भी ड्रोन को टक्कर दे सकते हैं। ये ड्रोन दुश्मन के बंकरों, ट्रेनिंग कैंपों, लॉन्च पैड्स और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने में माहिर है।
NAGASTRA-1R की तकनीकी खासियतें
अब बात करते हैं कि ये नागास्त्र-1R ड्रोन इतना खास क्यों है। सबसे पहले, ये एक उन्नत लॉइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम है, यानी ये हवा में मंडराकर अपने टारगेट को ढूंढ सकता है और सटीक निशाना लगा सकता है। इसकी सटीकता इतनी जबरदस्त है कि इसका सर्कुलर एरर प्रोबेबल (CEP) सिर्फ 2 मीटर है। यानी, ये अपने टारगेट से सिर्फ 2 मीटर की दूरी पर ही चूक सकता है, जो इसे बेहद प्रभावी बनाता है। इसमें 360 डिग्री गिम्बल कैमरा लगा है, जो चारों तरफ का पूरा नजारा देता है। साथ ही, रात में ऑपरेशन के लिए थर्मल इमेजिंग कैमरा भी है, जो अंधेरे में भी दुश्मन को नहीं बख्शता।
सुरक्षा और पुन: उपयोग की सुविधा
NAGASTRA-1R की एक और खासियत है इसका लागत-प्रभावी और पुन: उपयोगी होना। इसका लॉन्चर सिस्टम बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है, जो इसे किफायती बनाता है। इतना ही नहीं, अगर मिशन के दौरान टारगेट नहीं मिलता या मिशन रद्द करना पड़ता है, तो ये ड्रोन वापस बुलाया जा सकता है। इसमें पैराशूट रिकवरी सिस्टम है, जिसकी मदद से ये सुरक्षित लैंड करता है और दोबारा इस्तेमाल के लिए तैयार रहता है। साथ ही, इसकी वीडियो और टेलीमेट्री कम्युनिकेशन के लिए प्रोप्राइटरी एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल होता है, यानी इसकी सारी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहती है। ये फीचर इसे दुनिया के बाकी ड्रोन्स से अलग बनाता है।
युद्ध में नागास्त्र-1R की भूमिका
नागास्त्र-1R ड्रोन को खास तौर पर ऐसे मिशनों के लिए बनाया गया है, जहां सैनिकों की जान को खतरे में डाले बिना दुश्मन को नुकसान पहुंचाना हो। ये ड्रोन 15 किलोमीटर तक मैन-इन-द-लूप कंट्रोल के साथ और 30 किलोमीटर तक ऑटोनॉमस मोड में काम कर सकता है। इसका मतलब है कि इसे या तो ऑपरेटर रियल-टाइम कंट्रोल कर सकता है या फिर पहले से फीड किए गए कोऑर्डिनेट्स के आधार पर ये खुद टारगेट को ढूंढकर हमला कर सकता है। इसका 1 किलोग्राम का हाई-एक्सप्लोसिव वॉरहेड सॉफ्ट-स्किन टारगेट्स, जैसे कि दुश्मन के सैनिक या हल्के वाहनों को आसानी से नष्ट कर सकता है। इसके इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम की वजह से ये 200 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ते वक्त दुश्मन के रडार में आसानी से नहीं आता।
भारत की रक्षा में नया अध्याय
नागास्त्र-1R ड्रोन का भारतीय सेना में शामिल होना हमारे रक्षा क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। ये न सिर्फ हमारी सेना को और ताकतवर बनाता है, बल्कि ये भी दिखाता है कि भारत अब हाई-टेक डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर हो रहा है। सोलर इंडस्ट्रीज और EEL ने इस ड्रोन को बनाने में जो मेहनत की है, वो काबिल-ए-तारीफ है। ये ड्रोन न सिर्फ भारत की सीमाओं की रक्षा करेगा, बल्कि भविष्य में दोस्त देशों को निर्यात भी किया जा सकता है। इससे भारत की रक्षा तकनीक दुनिया भर में अपनी पहचान बनाएगी। तो, दोस्तों, नागास्त्र-1R सिर्फ एक ड्रोन नहीं, बल्कि भारत की ताकत और आत्मविश्वास का प्रतीक है। हमारी सेना को सलाम, जो हर पल देश की सुरक्षा के लिए तैयार है!