MP Politics: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर तीखा तंज कसा। उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह, जो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर और वित्त मंत्री रहे, और जिन्हें बड़ा अर्थशास्त्री माना जाता है, उन्हें यह भी नहीं पता था कि जीरो बैलेंस खाता क्या होता है। विदेशी डिग्री वाले मनमोहन सिंह ने कभी यह नहीं सोचा कि बिना पैसे के भी बैंक खाता खोला जा सकता है। यह बयान भोपाल में मेधावी छात्रों को लैपटॉप खरीदने के लिए राशि वितरण के कार्यक्रम में दिया गया। मोहन यादव ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की और कहा कि मोदी ने न केवल जीरो बैलेंस खातों की शुरुआत की, बल्कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) को लागू कर शासन में पारदर्शिता लाई। इस बयान ने सियासी हलचल मचा दी है।
मोहन यादव ने अपने भाषण में कहा कि नरेंद्र मोदी, जो पहले चाय बेचते थे, ने वह काम कर दिखाया जो बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों से नहीं हुआ। उन्होंने जीरो बैलेंस खातों की अवधारणा को लागू किया, जिसने डीबीटी की नींव रखी। इसकी वजह से गरीबों के खातों में सीधे लाभ पहुंचने लगा। यादव ने कहा कि मनमोहन सिंह जैसे वित्तीय जादूगर कहे जाने वाले व्यक्ति इस साधारण लेकिन क्रांतिकारी विचार को नहीं ला सके। उन्होंने यह भी दावा किया कि मनमोहन सिंह कहते थे कि गांवों में सड़कें बनाने की क्या जरूरत, वहां लोग तो बैलगाड़ी से चलते हैं। इसके उलट, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू की और गोल्डन क्वाड्रिलेटरल योजना के जरिए देश के चारों कोनों को जोड़ा। मोहन यादव ने इन योजनाओं को देश के विकास में मील का पत्थर बताया।
डीबीटी ने बदली व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने डीबीटी की तारीफ करते हुए कहा कि इसने न केवल सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ाई, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगाई। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जिक्र करते हुए कहा कि राजीव जी कहते थे कि केंद्र सरकार एक रुपया भेजती है, तो आम आदमी तक सिर्फ 15 पैसे पहुंचते हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी ने अपनी नीयत और नीति से इस व्यवस्था को सुधारा। अब मेधावी छात्रों के खातों में 25,000 रुपये सीधे पहुंच रहे हैं, जो बदलाव की असली तस्वीर है। मोहन यादव ने कहा कि यह सुधार नीतियों से नहीं, बल्कि सही नीयत से हुआ। 2013 से पहले किसी ने इस दिशा में ध्यान नहीं दिया, लेकिन मोदी सरकार ने डीबीटी और जीरो बैलेंस खातों के जरिए गरीबों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाया। यह बयान जहां एक तरफ मोदी की तारीफ कर रहा था, वहीं मनमोहन सिंह की आलोचना ने विवाद को जन्म दे दिया।
कांग्रेस का पलटवार
मोहन यादव के इस बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे मनमोहन सिंह का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि मोहन यादव को यह समझना चाहिए कि मनमोहन सिंह ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के बाद देश की आर्थिक स्थिति को नई दिशा दी। 1991 में जब देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर उदारीकरण की नीति लागू की, जिसने भारत को वैश्विक मंच पर खड़ा किया। पटवारी ने कहा कि मनमोहन सिंह को न केवल देश में, बल्कि दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों और नेताओं से सम्मान मिला। उन्होंने मोहन यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी के लिए सम्मान दिखाना स्वाभाविक है, लेकिन मनमोहन सिंह का अपमान मुख्यमंत्री के पद की गरिमा को कम करता है। कांग्रेस ने इसे सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश करार दिया और मांग की कि मोहन यादव अपने बयान पर माफी मांगें।
मनमोहन सिंह की विरासत
मनमोहन सिंह की आलोचना के बीच यह समझना जरूरी है कि उनकी आर्थिक नीतियों ने भारत को एक नई दिशा दी थी। 1991 में वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म किया और विदेशी निवेश के दरवाजे खोले। उनके नेतृत्व में भारत ने 2004 से 2014 तक 7-8% की औसत विकास दर हासिल की। मनमोहन सिंह ने रिजर्व बैंक के गवर्नर, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और प्रधानमंत्री के तौर पर देश की आर्थिक नीतियों को मजबूत किया। उनके कार्यकाल में आधार कार्ड और डीबीटी की नींव रखी गई, जिसे बाद में मोदी सरकार ने और विस्तार दिया। मनमोहन सिंह की चुप्पी और सादगी भले ही उनकी छवि को कमजोर करती रही, लेकिन उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मोहन यादव का यह बयान इसलिए भी विवादास्पद है, क्योंकि यह मनमोहन सिंह की विरासत को कमतर दिखाने की कोशिश करता है।
सियासी बयानबाजी और भविष्य
मोहन यादव का यह बयान मध्य प्रदेश में सियासी तापमान बढ़ाने वाला है। एक तरफ बीजेपी इसे मोदी सरकार की उपलब्धियों को सामने लाने की रणनीति के तौर पर देख रही है, वहीं कांग्रेस इसे मनमोहन सिंह का अपमान बताकर बीजेपी पर हमलावर हो रही है। इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी बहस छेड़ दी है। कुछ लोग मोहन यादव की बात से सहमत हैं और मानते हैं कि डीबीटी और जीरो बैलेंस खातों ने गरीबों तक लाभ पहुंचाने में बड़ा बदलाव किया। वहीं, कई लोग इसे मनमोहन सिंह की विरासत पर हमला मान रहे हैं। यह विवाद आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है, खासकर तब जब मध्य प्रदेश में विधानसभा सत्र शुरू होगा। यह बयान न केवल सियासी, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह देश की आर्थिक नीतियों और नेताओं की नीयत पर सवाल उठाता है।