Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का लैंड जिहाद के खिलाफ सख्त रुख बदस्तूर जारी है। देवभूमि उत्तराखंड में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई मजारों को लगातार ढहाया जा रहा है। हाल ही में काशीपुर के कुंडेश्वरी इलाके में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पांच अवैध मजारों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई मुख्यमंत्री धामी के स्पष्ट निर्देशों के तहत हुई, जिसमें उन्होंने साफ कर दिया है कि धर्म के नाम पर सरकारी जमीन पर किसी भी तरह का अतिक्रमण अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह कदम न केवल कानून के शासन को मजबूत करता है, बल्कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को बचाने की दिशा में भी बड़ा संदेश देता है। धामी सरकार का यह अभियान पूरे राज्य में सुर्खियां बटोर रहा है।
कुंडेश्वरी में क्यों चला बुलडोजर?
काशीपुर के कुंडेश्वरी इलाके में जिन पांच मजारों को बुलडोजर से ढहाया गया, वे सरकारी सीलिंग लैंड (अंबाग) पर बनाई गई थीं। कुछ लोगों ने धर्म की आड़ में इन संरचनाओं को बनाकर जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी। प्रशासन ने इन अतिक्रमणों को हटाने के लिए पहले नोटिस जारी किया, लेकिन निर्धारित समय सीमा में कोई दस्तावेज पेश नहीं किए गए। इसके बाद गुरुवार सुबह एसडीएम अभय प्रताप सिंह की अगुवाई में प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर इन सभी अवैध संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। यह कार्रवाई दर्शाती है कि धामी सरकार अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कितनी गंभीर है। स्थानीय लोगों ने भी इस कार्रवाई का स्वागत किया, क्योंकि यह सरकारी जमीन को वापस जनता के हित में लाने का प्रयास है।
अब तक 537 मजारें ढहाई गईं
यह पहली बार नहीं है जब धामी सरकार ने ऐसी कार्रवाई की हो। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में अब तक पूरे उत्तराखंड में 537 अवैध मजारें हटाई जा चुकी हैं। इससे पहले दिसंबर 2022 और मार्च 2023 में देहरादून, पौड़ी और अन्य जिलों में 41 मजारों को ध्वस्त किया गया था। सरकार ने करीब 3,793 अतिक्रमण वाले स्थानों की पहचान की है, जिनमें से नैनीताल और हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा अतिक्रमण पाए गए। इनमें से ज्यादातर संरचनाएं वन भूमि पर थीं, और कई मजारों में खुदाई करने पर कोई मानव अवशेष भी नहीं मिले। धामी सरकार का कहना है कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक राज्य की हर एक इंच सरकारी जमीन अतिक्रमण से मुक्त नहीं हो जाती। इस कार्रवाई ने न केवल अवैध कब्जों पर लगाम लगाई है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि कानून का पालन हर हाल में हो।
धामी सरकार का साफ संदेश
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बार-बार दोहराया है कि उत्तराखंड में विश्वास और आस्था का सम्मान किया जाएगा, लेकिन इसके दुरुपयोग को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। धर्म के नाम पर नीले और पीले तिरपाल डालकर सरकारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। धामी ने कहा, “हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम किसी का तुष्टिकरण भी नहीं होने देंगे।” कुंडेश्वरी की इस कार्रवाई के जरिए सरकार ने यह साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में कोई भी गलत इरादे के साथ इसकी प्राकृतिक संपदा या सांस्कृतिक धरोहर पर हाथ नहीं डाल सकता। यह संदेश न केवल अतिक्रमण करने वालों के लिए है, बल्कि उन सभी के लिए है जो कानून को ताक पर रखकर गलत काम करने की सोचते हैं।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा
उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए मशहूर है। लेकिन पिछले कुछ सालों में जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क और अन्य वन क्षेत्रों में अवैध मजारों और संरचनाओं की संख्या बढ़ने की खबरें सामने आई थीं। धामी सरकार ने इसे गंभीरता से लिया और 2022 से ही अतिक्रमण के खिलाफ अभियान शुरू किया। अब तक इस अभियान के तहत 5,000 एकड़ से ज्यादा सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया जा चुका है। कुंडेश्वरी की कार्रवाई इस अभियान का हिस्सा है, जो न केवल सरकारी जमीन को वापस लेने की कोशिश है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक पहचान बरकरार रहे। धामी का यह कदम स्थानीय लोगों में भी कानून के प्रति भरोसा जगाता है।
कानून का शासन और भविष्य की योजनाएं
धामी सरकार का यह अभियान सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जमीन पर मजबूत इच्छाशक्ति के साथ लागू हो रहा है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि उत्तराखंड में कानून का शासन सर्वोपरि है और कोई भी धर्म या समुदाय के नाम पर गलत काम करने की छूट नहीं पा सकता। इसके साथ ही, सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू करने और जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कानून बनाने जैसे कदम भी उठाए हैं। धामी ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अतिक्रमण करने वालों को पहले खुद संरचनाएं हटाने का मौका दिया जाए, वरना प्रशासन बुलडोजर चलाएगा। कुंडेश्वरी की कार्रवाई इस दिशा में एक और मील का पत्थर है, जो दर्शाती है कि धामी सरकार न केवल उत्तराखंड की धरोहर को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर रही है कि राज्य में सुशासन और कानून का राज कायम रहे।