MP News: मध्य प्रदेश के रतलाम में 27 जून 2025 को आयोजित एमपी राइज 2025 औद्योगिक सम्मेलन के दौरान एक चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के काफिले में शामिल 19 इनोवा गाड़ियां अचानक रास्ते में बंद हो गईं। पहले तो यह तकनीकी खराबी का मामला लगा, लेकिन जब जांच हुई तो पता चला कि इन गाड़ियों में डीजल के नाम पर पानी मिला हुआ तेल भरा गया था। यह घटना ढोसीगांव के एक पेट्रोल पंप पर हुई, जहां से काफिले की गाड़ियों ने ईंधन भरा था। इस हादसे ने न केवल प्रशासन में हड़कंप मचा दिया, बल्कि पेट्रोल पंपों पर ईंधन की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए, इस घटना को और करीब से समझते हैं।
डीजल में पानी की मिलावट
मुख्यमंत्री मोहन यादव रतलाम में एमपी राइज 2025 सम्मेलन में हिस्सा लेने जा रहे थे। उनके काफिले की गाड़ियां इंदौर से रतलाम की ओर जा रही थीं, जब ढोसीगांव में भारत पेट्रोलियम के शक्ति फ्यूल्स पेट्रोल पंप पर डीजल भरवाया गया। गाड़ियां जैसे ही कुछ दूरी तय करके हाइवे पर पहुंचीं, एक-एक करके सभी 19 इनोवा गाड़ियां हिचकोले खाने लगीं और बंद हो गईं। ड्राइवरों ने जब टैंकों की जांच की, तो हैरान करने वाला खुलासा हुआ। 20 लीटर डीजल में से करीब 10 लीटर पानी निकला। यही हाल काफिले की लगभग सभी गाड़ियों का था। एक ट्रक ड्राइवर, जिसने 200 लीटर डीजल भरा था, उसका वाहन भी कुछ ही दूरी पर रुक गया। इस घटना ने साफ कर दिया कि पेट्रोल पंप से मिला ईंधन बुरी तरह दूषित था।
प्रशासन का त्वरित एक्शन
इस घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया। रतलाम के कलेक्टर और खाद्य आपूर्ति विभाग की टीम तुरंत मौके पर पहुंची। शक्ति फ्यूल्स पेट्रोल पंप को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। ईंधन के नमूने जांच के लिए प्रयोगशाला भेजे गए हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि डीजल में पानी की मिलावट कैसे हुई। खाद्य विभाग के अधिकारी आनंद गोले ने बताया कि अभी पानी की सटीक मात्रा का आकलन नहीं हुआ है, लेकिन पेट्रोल पंप के स्टॉक और रिकॉर्ड की जांच की जा रही है। पंप के सेल्स अधिकारी ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, उनका कहना था कि उन्हें बोलने की अनुमति नहीं है। इस बीच, मुख्यमंत्री के काफिले के लिए इंदौर से वैकल्पिक गाड़ियों का इंतजाम किया गया, ताकि उनका कार्यक्रम बिना रुकावट चल सके।
बारिश थी वजह या लापरवाही?
प्रारंभिक जांच में प्रशासन ने संदेह जताया है कि हाल की बारिश के कारण डीजल टैंकों में पानी रिस गया होगा। बारिश का पानी भूमिगत टैंकों में घुस सकता है, खासकर अगर टैंकों की सीलिंग ठीक न हो। लेकिन यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ प्राकृतिक कारण था, या पेट्रोल पंप की ओर से जानबूझकर या लापरवाही से मिलावट की गई? पेट्रोल पंपों पर ईंधन की गुणवत्ता की जांच के लिए क्या इंतजाम हैं? क्या आम जनता को भी ऐसा मिलावटी तेल दिया जा रहा है? सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इसे एक बड़ी साजिश का हिस्सा तक बताया है, हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। एक यूजर, जय प्रकाश, ने लिखा, “ये सीएम की गाड़ी है। आम जनता को तो रोज चूना लगाया जा रहा है, उसके लिए कोई व्यवस्था नहीं है।”
सुरक्षा में चूक और जांच की जरूरत
यह घटना न केवल एक लापरवाही है, बल्कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा में भी बड़ी चूक को दर्शाती है। काफिला किसी भी राज्य के सबसे महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा का हिस्सा होता है, और ऐसी घटना का होना गंभीर चिंता का विषय है। रतलाम में आयोजित एमपी राइज 2025 सम्मेलन, जिसमें 2500 से ज्यादा उद्यमी और निवेशक हिस्सा ले रहे थे, एक महत्वपूर्ण आयोजन था। इस दौरान ऐसी लापरवाही ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठा दिए। जांच में यह भी देखा जा रहा है कि क्या यह मिलावट जानबूझकर की गई थी, या यह पेट्रोल पंप की लापरवाही का नतीजा था। कलेक्टर ने कहा है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस घटना ने पेट्रोल पंपों की गुणवत्ता नियंत्रण प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए हैं।
भविष्य के लिए सबक और जनता की चिंता
यह घटना सिर्फ मुख्यमंत्री के काफिले तक सीमित नहीं है; यह आम जनता के लिए भी एक बड़ा सबक है। अगर इतने महत्वपूर्ण काफिले की गाड़ियों में मिलावटी ईंधन भरा जा सकता है, तो आम लोगों के साथ क्या हो रहा होगा? पेट्रोल पंपों पर ईंधन की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम और नियमित जांच की जरूरत है। इस घटना ने न केवल रतलाम, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश में ईंधन आपूर्ति की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, और जनता को शुद्ध ईंधन मिले। साथ ही, एमपी राइज 2025 जैसे आयोजनों की सफलता के लिए प्रशासनिक तैयारियों को और मजबूत करना होगा। यह घटना हमें सिखाती है कि छोटी सी लापरवाही भी बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।