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MP News: घरौंदा आश्रम बना यातना गृह, दिव्यांग बच्चों और बुजुर्गों से जबरन मंगवाई जाती थी भीख

On: June 26, 2025 10:31 AM
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MP News: घरौंदा आश्रम बना यातना गृह, दिव्यांग बच्चों और बुजुर्गों से जबरन मंगवाई जाती थी भीख
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MP News: मध्य प्रदेश के सागर जिले में स्थित घारौंदा आश्रम (चिल्ड्रन्स आश्रम) से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बच्चों और बुजुर्गों को न केवल भीख मांगने के लिए मजबूर किया जा रहा था, बल्कि एक बच्चे की मौत के बाद उसका शव बिना प्रशासनिक अनुमति के दान कर दिया गया। मध्य प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की जांच में यह खुलासा हुआ है कि इस आश्रम को चलाने वाली एनजीओ बच्चों और बुजुर्गों का शोषण कर रही थी। आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट सागर के जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी है, जिसमें मानव तस्करी की आशंका भी जताई गई है। यह मामला बच्चों के अधिकारों के हनन का गंभीर उदाहरण है, जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है।

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य ओमकार सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि घारौंदा आश्रम में बच्चों और बुजुर्गों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा था। इस आश्रम में न केवल बच्चे, बल्कि बेसहारा बुजुर्ग भी रहते हैं। जांच में पाया गया कि ये लोग शहर के मंदिरों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर घारौंदा आश्रम का बैनर लेकर भीख मांगने जाते हैं। यह स्पष्ट रूप से जुवेनाइल जस्टिस (केयर ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट का उल्लंघन है। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए आश्रम के खिलाफ FIR दर्ज करने की सिफारिश की है। ओमकार सिंह ने कहा कि यह आश्रम बच्चों के साथ-साथ बुजुर्गों के शोषण का केंद्र बन गया है, और इसके पीछे संगठित अपराध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

मानव तस्करी की आशंका

आयोग की रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि घारौंदा आश्रम में इंदौर और बेतूल जिलों से लाए गए कई बच्चे रह रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि इन बच्चों को आश्रम में लाने की जानकारी संबंधित जिला बाल कल्याण समितियों को नहीं दी गई। यह गंभीर लापरवाही और संभावित मानव तस्करी का संकेत है। आयोग ने बताया कि आश्रम में रहने वाले शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम लोगों को बाल श्रम के लिए मजबूर किया जा रहा है। बच्चों को भीख मांगने जैसे कामों में धकेला जा रहा है, जो न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति को और बदतर बना रहा है। आयोग ने इस मामले में मानव तस्करी की गहन जांच की मांग की है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इन बच्चों को आश्रम तक कैसे लाया गया।

MP News: घरौंदा आश्रम बना यातना गृह, दिव्यांग बच्चों और बुजुर्गों से जबरन मंगवाई जाती थी भीख

शव दान का चौंकाने वाला मामला

जांच के दौरान एक और हैरान करने वाला तथ्य सामने आया। आश्रम में रहने वाले एक बच्चे की मौत के बाद उसका शव बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के दान कर दिया गया। यह न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि नैतिकता और मानवता पर भी सवाल उठाता है। आयोग ने इस घटना को बेहद गंभीर बताया और कहा कि आश्रम के संचालकों ने बच्चे की मौत को छिपाने की कोशिश की। यह शक पैदा करता है कि आश्रम में और भी कई गलत गतिविधियां चल रही हो सकती हैं। आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट से इस मामले की पूरी जांच करने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की अपील की है। इस घटना ने आश्रम की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े किए हैं।

NGO की भूमिका पर सवाल

घारौंदा आश्रम एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा संचालित किया जाता है, जिसका मकसद कथित तौर पर बेसहारा बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करना था। लेकिन आयोग की जांच ने इस एनजीओ की मंशा पर सवाल उठा दिए हैं। यह आश्रम बच्चों और बुजुर्गों को शरण देने के नाम पर उनका शोषण कर रहा था। बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करना और उनकी स्थिति का फायदा उठाना एक संगठित अपराध की ओर इशारा करता है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस तरह के आश्रमों की गतिविधियों पर सख्त निगरानी की जरूरत है। साथ ही, एनजीओ को मिलने वाले फंड और उनकी गतिविधियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कड़े नियम लागू करने की सिफारिश की गई है।

आगे की कार्रवाई और समाज की जिम्मेदारी

आयोग ने अपनी रिपोर्ट सागर के जिला मजिस्ट्रेट को सौंप दी है, और अब यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह इस मामले में तुरंत कार्रवाई करे। आयोग ने घारौंदा आश्रम के खिलाफ FIR दर्ज करने और मानव तस्करी की आशंका की गहन जांच करने की सिफारिश की है। इसके अलावा, आश्रम में रह रहे बच्चों और बुजुर्गों को तुरंत सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने और उनकी काउंसलिंग और पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की गई है। यह मामला समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि हमें अपने आसपास चल रही ऐसी गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना सिर्फ सरकार या आयोग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का फर्ज है। इस तरह के शोषण को रोकने के लिए समाज को जागरूक और सक्रिय होना पड़ेगा।

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