Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में आज सुबह से पुलिस और नक्सलियों के बीच एक तीखी मुठभेड़ चल रही है। इस मुठभेड़ में अब तक दो नक्सलियों के मारे जाने की खबर है, जिनमें एक महिला नक्सली भी शामिल है। पुलिस ने मुठभेड़ स्थल से महिला नक्सली का शव और कुछ हथियार बरामद किए हैं। कांकेर के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एल्सेला ने इस मुठभेड़ की पुष्टि की है। अभी दोनों तरफ से गोलीबारी जारी है, और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। ये मुठभेड़ छोटे बेठिया थाना क्षेत्र में हो रही है, जो नक्सलियों के लिए एक अहम इलाक़ा माना जाता है। आइए, इस मुठभेड़ और इसके पीछे की कहानी को छह हिस्सों में समझते हैं।
छोटे बेठिया में मुठभेड़ और महिला नक्सली की मौत
आज सुबह कांकेर जिले के छोटे बेठिया थाना क्षेत्र में डिस्ट्रिक्ट रिज़र्व गार्ड (DRG) की एक टोली ने नक्सलियों की मौजूदगी की सूचना पर ऑपरेशन शुरू किया। ये इलाक़ा माड़ के पास है, जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता है। सुबह से शुरू हुई इस मुठभेड़ में अब तक दो नक्सली मारे जा चुके हैं। इनमें एक महिला नक्सली भी शामिल है, जिसका शव बरामद कर लिया गया है। कांकेर के एसपी इंदिरा कल्याण एल्सेला ने बताया कि अभी महिला नक्सली की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन मुठभेड़ स्थल से कुछ हथियार भी मिले हैं। दोनों तरफ से गोलीबारी अब भी जारी है, और पुलिस का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। ये इलाक़ा पहले भी नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशनों का गवाह रहा है, और इस बार भी पुलिस ने नक्सलियों को घेर लिया है।
2024 में भी इसी इलाक़े में मारे गए थे 29 नक्सली
छोटे बेठिया थाना क्षेत्र का कल्पर गांव पिछले साल भी एक बड़े नक्सली मुठभेड़ का केंद्र रहा था। 16 अप्रैल 2024 को यहां 29 नक्सली मारे गए थे, जो छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई थी। इस मुठभेड़ में कई बड़े नक्सली कैडर भी ढेर हुए थे, जिनमें शंकर राव, ललिता, और विनोद गावड़े जैसे नाम शामिल थे। इन पर कुल 24 लाख रुपये का इनाम था। कांकेर और नारायणपुर की सीमा पर हुई उस मुठभेड़ ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी थी। अब एक बार फिर पुलिस ने उसी इलाक़े में ऑपरेशन शुरू किया है, जिससे साफ़ है कि सुरक्षा बल नक्सलियों के गढ़ में घुसकर उन्हें खत्म करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। माड़ का ये इलाक़ा नक्सलियों के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है, और यहां उनकी गतिविधियां लगातार निशाने पर हैं।
दो दिन पहले मरेडपल्ली में तीन बड़े नक्सली ढेर
हाल ही में, 18 जून 2025 को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर मरेडपल्ली के जंगलों में एक और बड़ी मुठभेड़ हुई थी। आंध्र प्रदेश की ग्रेहाउंड्स फोर्स ने इस मुठभेड़ में तीन बड़े नक्सली कैडर को मार गिराया, जिनमें नक्सली सेंट्रल कमेटी मेंबर गजरला रवि और स्पेशल ज़ोनल कमेटी मेंबर (SZCM) अरुणा शामिल थे। गजरला रवि, जिसे उदय के नाम से भी जाना जाता था, पर 40 लाख रुपये का इनाम था। वो आंध्र-ओडिशा बॉर्डर स्पेशल ज़ोनल कमेटी का पूर्व सचिव था। वहीं, अरुणा, जो नक्सली नेता चलपति की पत्नी थी, पर 20 लाख रुपये का इनाम था। तीसरे नक्सली की पहचान नहीं हो पाई है। अलूरी सिताराम राजू जिले के एसपी अमित बरदर ने इस मुठभेड़ की पुष्टि की। मुठभेड़ स्थल से एक AK-47 भी बरामद हुई। ये कार्रवाई नक्सलियों के लिए एक और बड़ा झटका थी, क्योंकि गजरला और अरुणा जैसे नेता उनकी रणनीति के लिए अहम थे।
अमित शाह का मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने का दावा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अगस्त 2024 में बस्तर दौरे के दौरान ऐलान किया था कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा था कि आत्मसमर्पण नीति, हमलों, और विकास के ज़रिए नक्सलियों का सफाया किया जाएगा। शाह का ये दावा इसलिए भी मज़बूत माना जा रहा है, क्योंकि सुरक्षा बल लगातार नक्सलियों के गढ़ में घुसकर ऑपरेशन चला रहे हैं। 2024 में बस्तर के सात ज़िलों में 287 नक्सली मारे गए, 14 बड़े नेता ढेर हुए, और 837 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। कांकेर, नारायणपुर, सुकमा, और बिजापुर जैसे ज़िले, जो नक्सलवाद से सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं, वहां लगातार मुठभेड़ हो रही हैं। शाह ने जगदलपुर में शहीद स्मारक पर बोलते हुए कहा था कि नक्सल प्रभावित गांवों को 1 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाएं दी जाएंगी। उनकी ये रणनीति नक्सलियों के प्रभाव को कमज़ोर कर रही है।
नक्सलियों की कमज़ोर पड़ती पकड़ और पुलिस की रणनीति
छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार के आने के बाद से नक्सल विरोधी अभियानों में तेज़ी आई है। 2024 में 400 से ज़्यादा नक्सली मारे गए, जिनमें नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू जैसे बड़े नेता भी शामिल थे, जिन्हें 21 मई 2025 को नारायणपुर-बिजापुर सीमा पर मार गिराया गया। बसवराजू पर 1.5 करोड़ रुपये का इनाम था। सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन संकल्प और ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट जैसे बड़े अभियानों में नक्सलियों के ठिकानों को तबाह किया। कर्रेगुट्टा पहाड़ियों पर 24 अप्रैल 2025 को तीन महिला नक्सली मारी गई थीं, जिन पर 8 लाख रुपये का इनाम था। पुलिस अब ड्रोन और हेलिकॉप्टर की मदद से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चला रही है। DRG, CRPF, और CoBRA जैसे बल नक्सलियों के पिपल्स लिबरेशन गैरीला आर्मी (PLGA) के बटालियन नंबर 1 को निशाना बना रहे हैं। नक्सलियों की IED (इम्प्रोवाइज़्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) रणनीति के बावजूद, सुरक्षा बल उनके गढ़ में घुसकर उन्हें कमज़ोर कर रहे हैं।
आगे का रास्ता और चुनौतियां
कांकेर की ताज़ा मुठभेड़ दिखाती है कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है। माड़ और अभुजमाड़ जैसे इलाक़े नक्सलियों के लिए अब भी सुरक्षित ठिकाने हैं, लेकिन पुलिस की लगातार कार्रवाइयों ने उनकी पकड़ को कमज़ोर किया है। अमित शाह की मार्च 2026 की डेडलाइन को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि बस्तर को नक्सल-मुक्त बनाने के लिए विकास और सुरक्षा दोनों पर ज़ोर दिया जा रहा है। हालांकि, नक्सलियों के IED हमले और जंगलों की भौगोलिक चुनौतियां सुरक्षा बलों के लिए मुश्किलें पैदा कर रही हैं। 9 जून 2025 को सुकमा में ASP अकाश राव गिरपुंजे की शहादत इसका उदाहरण है। फिर भी, ग्रेहाउंड्स, DRG, और CRPF जैसे बल नक्सलियों को खदेड़ रहे हैं। कांकेर की इस मुठभेड़ का नतीजा क्या होगा, ये तो आने वाला वक़्त बताएगा, लेकिन इतना साफ़ है कि नक्सलवाद के ख़िलाफ़ जंग अब अपने आख़िरी दौर में है।