Stock Market News: आज, 19 जून 2025 को शेयर बाजार पर यूएस फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में कोई कटौती न करने के फैसले और इजरायल-ईरान युद्ध के कारण मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव का बुरा असर देखने को मिल रहा है। ये नकारात्मक प्रभाव वैश्विक बाजार से लेकर हमारे घरेलू शेयर बाजार तक फैल गया है। हफ्ते का चौथा कारोबारी दिन, यानी गुरुवार, बाजार के लिए गिरावट के साथ शुरू हुआ। सुबह-सुबह बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी दोनों ही लाल निशान में कारोबार करते दिखे। वैश्विक अनिश्चितता और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। आइए, आज के बाजार की स्थिति को विस्तार से समझते हैं।
गुरुवार की सुबह एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स 81,219.40 के स्तर पर खुला, जो 225.26 अंक नीचे था। ये आंकड़े सुबह 9:21 बजे के आसपास के हैं। दूसरी तरफ, एनएसई निफ्टी 50 भी 56.75 अंक की गिरावट के साथ 24,755.30 के स्तर पर कारोबार कर रहा था। बाजार की शुरुआत में जहां बैंकिंग और ऑटो कंपनियों के शेयरों में हल्की बढ़त दिखी, वहीं आईटी कंपनियों के शेयरों पर भारी बिकवाली का दबाव देखा गया। ये दबाव वैश्विक संकेतों और मध्य पूर्व की अस्थिरता का नतीजा है। निवेशक जोखिम से बचने की कोशिश में हैं, जिसके चलते बाजार में उतार-चढ़ाव बना हुआ है।
किन शेयरों में उछाल, किनमें गिरावट
बाजार की इस गिरावट के बीच कुछ शेयरों ने बढ़त दिखाई। टाइटन आज का टॉप गेनर रहा, जिसके शेयर में 0.68% की उछाल आई। इसके बाद टाटा मोटर्स के शेयर 0.66%, कोटक महिंद्रा बैंक के 0.47%, महिंद्रा एंड महिंद्रा के 0.35%, और बजाज फिनसर्व के 0.23% ऊपर रहे। लेकिन दूसरी तरफ, टेक महिंद्रा के शेयर में 1.63% की बड़ी गिरावट आई। इसके अलावा, एचसीएल टेक्नोलॉजी 0.75%, इन्फोसिस 1.01%, अडानी पोर्ट्स 0.58%, और इंडसइंड बैंक के शेयर 0.60% नीचे आए। ऑटो और बैंकिंग सेक्टर में कुछ हलचल दिखी, लेकिन आईटी सेक्टर पर दबाव साफ नजर आया।

यूएस फेडरल रिजर्व का फैसला और उसका असर
जियोजित इनवेस्टमेंट के रिसर्च हेड विनोद नायर का कहना है कि मध्य पूर्व में अशांति और तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण बाजार शुरुआती बढ़त को बरकरार नहीं रख पाया। यूएस फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों को 4.25% से 4.5% के दायरे में अपरिवर्तित रखा है। ये फैसला धीमी आर्थिक वृद्धि और बढ़ती महंगाई की आशंका के बीच लिया गया। फेडरल रिजर्व ने संकेत दिए हैं कि इस साल के अंत तक ब्याज दरों में कटौती हो सकती है, लेकिन अभी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इस फैसले ने वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ा दी है, जिसका असर भारत जैसे उभरते बाजारों पर भी पड़ रहा है।
डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएस फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। ट्रंप ने कहा कि फेड की ब्याज दरों को कम से कम 2% तक घटाना चाहिए था। उन्होंने पॉवेल को ‘मूर्ख’ तक कह डाला। ट्रंप का मानना है कि ऊंची ब्याज दरें अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं, और इससे वैश्विक व्यापार पर भी असर पड़ रहा है। उनकी ये टिप्पणियां बाजार की अस्थिरता को और बढ़ाने का काम कर सकती हैं, क्योंकि निवेशक पहले ही यूएस-ईरान तनाव और तेल की कीमतों को लेकर चिंतित हैं। ट्रंप की आलोचना ने वैश्विक स्तर पर चर्चा को और गर्म कर दिया है।
आगे क्या होगा?
मध्य पूर्व में इजरायल-ईरान युद्ध और तेल की कीमतों में उछाल बाजार के लिए बड़ा जोखिम बना हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज में कोई रुकावट आती है, तो तेल की कीमतें और भड़क सकती हैं, जिसका सीधा असर भारत जैसे तेल आयातक देशों पर पड़ेगा। विनोद नायर के मुताबिक, अगर तनाव कम होता है, तो निफ्टी 25,000 के ऊपरी स्तर को तोड़ सकता है, लेकिन अगर स्थिति बिगड़ती है, तो 24,500 का समर्थन स्तर भी टूट सकता है। निवेशकों को सलाह है कि वे सतर्क रहें और लंबी अवधि के लिए मजबूत कंपनियों पर दांव लगाएं। भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और घरेलू मांग बाजार को कुछ हद तक सहारा दे सकती है, लेकिन वैश्विक संकेतों पर नजर रखना जरूरी है।