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Lemru Elephant Reserve Chhattisgarh :- लेमरू हाथी रिजर्व प्रस्तावित क्षेत्र

On: May 22, 2025 1:03 PM
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लेमरू क्षेत्र,हाथी रिजर्व के लिए प्रस्तावित
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प्राकृतिक संसाधनों व जैवविविधता से परिपूर्ण लेमरू क्षेत्र,हाथी रिजर्व के लिए प्रस्तावित क्षेत्र –

आराध्या न्यूज़। (Lemru Elephant Reserve Chhattisgarh)छत्तीसगढ़ के कोरबा जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर घने जंगलों, पहाड़ों तथा सुंदर वादियों के बीच स्थित छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित हाथी रहवास रिजर्व लेमरू क्षेत्र. जो अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता, प्राकृतिक संसाधनों तथा जैवविविधता से परिपूर्ण है। लेमरू क्षेत्र को प्रकृति ने अपार वरदान दिया है. यह सैकड़ों – हजारों प्रकार के औषधियां पाई जाती है, विभिन्न प्रजातियों के जानवर तथा आदिवासियों का घर है. यहां की घने जंगल एवं पहाड़ तथा कल-कल करती नदियां, चहचहाते पक्षी अति ही लोगों की मन को मोहित करती है। इस क्षेत्र में कई छोटे बड़े गांव तथा बांगो बांध का क्षेत्र से घिरा हुआ है, यहां की लोगों का आजीविका प्राकृतिक संसाधनों तथा कृषि पर निर्भर हैं. जैसे कि चार,तेंदु, महुआ,भेलवा, कोसम आदि प्रमुख रूप से पाएं जाते हैं। हाल ही के माने तो इस क्षेत्र के बांध वाले क्षेत्र पूरी तरह सूखा पड़ गया है। यह छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित हाथी रिजर्व है,जो 1,995 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, लेमरू क्षेत्र में कोयला खनन और संरक्षण के बीच विवाद एक बड़ी चुनौती है। जिससे स्थानीय समुदाय और पर्यावरण प्रभावित हो सकते हैं, यह घने जंगलों तथा पहाड़ों से घिरा हुआ है,जो प्राकृतिक सौंदर्य और जैवविविधता का प्रमुख केन्द्र है। वर्ष 2019 में छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे भारत का पहला हाथी रिजर्व बनाने का निर्णय लिया, जहां हाथियों के संरक्षण और लोगों एवं हाथियों के बीच के संघर्ष को कम करने का सरकार द्वारा प्रयास किया गया है। यहां के जंगलों में हाथी, बाघ, तेंदुआ, चीतल,हिरण, और कई प्रजाति के पक्षी पाएं जाते हैं।

सांस्कृतिक विरासत व भौगोलिक तथा ऐतिहासिक – इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता एवं संसाधनों की तरह यहां की संस्कृति, इतिहास का भी अनूठा संगम रहा है, यहां रहने वाले समुदाय अपने सांस्कृतिक विरासत तथा इतिहास को संजोए रखें हुए हैं। यहां भौगोलिक बनावट को प्रकृति ने असीम वरदान दिया है, बड़े-बड़े चट्टानों वाला पहाड़, अलग अलग क्षेत्रों में अपनी धारा को बिखेरने वाली नदियां, घने जंगल तथा इस की भौगोलिक बनावट ही कुछ और है।

स्थानीय समुदाय की संघर्ष एवं जनजीवन(Lemru Elephant Reserve Chhattisgarh) लेमरू क्षेत्र में रहने वाले आदिवासी समुदायों में गोंड,कंवर, बैगा, धनुहार, कोरवा जाति के लोग प्रमुख रूप से निवास करते हैं। यहां के लोगों का प्रमुख चुनौती कोयला खनन तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को लेकर है, इस क्षेत्र में लोगों की जनजीवन पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है। शिक्षा, चिकित्सा, संबंधी क्षेत्र में विकास को लेकर गतिशील है। यहां 80 गांव हैं, जहां तकरीबन 20 हजार से अधिक लोग रहते हैं।

पर्यटन – लेमरू क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्रयास किया है, कि यहां की सौंदर्यता, अनूठा प्राकृतिक बनावट, और आध्यात्मिकता तथा हसदेव नदी पर बनी बांगो बांध पर्यटन का मुख्य केंद्र हैं। वहीं वोटिंग क्लब सतरेंगा, देवपहरी जलप्रपात, रानी झरना आदि प्रमुख पर्यटन स्थल शामिल हैं। जहां बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं व प्रकृति का मनोरम दृश्य को निहारने आते हैं, सरकार को पर्यटन के बढ़ावा के लिए तथा उसके साथ प्रकृति संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाना चाहिए, जिससे पर्यावरण तथा आसपास के वातावरण प्रदूषित व खराब ना हो और पर्यटन को बढ़ावा मिल सकें।

अर्थव्यवस्था व कृषि– यहां की अर्थव्यवस्था प्राकृतिक संसाधनों तथा कृषि पर निर्भर है, लेमरू क्षेत्र में लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पूरी तरह प्राकृतिक संसाधनों जैसे चार,तेंदु, महुआ, भेलवा आदि के ऊपर निर्भर हैं।

नदी व बांध – हसदेव नदी पर बनी बांगो बांध भी लेमरू क्षेत्र के क्षेत्रांतर्गत आता है, जो एक बड़े क्षेत्राफल में फैला हुआ है। जिसमें विद्युत निगम एवं नहरों के माध्यम से पानी की सिंचाई जैसे अन्य कार्यों में उपयोग किया जाता है, यहां के स्थानीय लोग मछलीपालन का भी कार्य करते हैं, जो उनके आजीविका का प्रमुख स्त्रोतों में से एक है। बांगो बांध व हसदेव नदी के किनारे अनेक पर्यटन केंद्र व दर्शनीय स्थल हैं,जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। बांगो बांध से 120 मेगावाट बिजली पैदा होती है, वहीं बांध के पानी से क्षेत्र में जल आपूर्ति एवं अनेक उद्योगों को भी जल आपूर्ति करती है।

हाथी रिजर्व व चुनौतियां – (Lemru Elephant Reserve Chhattisgarh) लेमरू हाथी रिजर्व 1,995 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जिसमें कोरबा, कटघोरा, धरमजयगढ़ जैसे क्षेत्र शामिल हैं, छत्तीसगढ़ सरकार ने क्षेत्र के लोगों को आश्वासन दिया है कि किसी भी गांव का विस्थापन नहीं होगा तथा स्थानीय लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखा जाएगा व सम्मान किया जाएगा। लेकिन कोयला खदान की अनुमति ने विवाद शुरू कर दिया, इसलिए कि यहां जैवविविधता एवं आदिवासियों के अधिकारों को नुकसान पहुंचा सकता है, स्थानीय समुदाय तथा पर्यावरणविद् इन मुद्दों को लेकर विरोध किया जा रहा है।

निष्कर्ष – (Lemru Elephant Reserve Chhattisgarh) लेमरू क्षेत्र छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत तथा ऐतिहासिक विरासत का प्रमुख प्रतीक है,जो क्षेत्र के प्राकृतिक संसाधनों, जैवविविधता और आदिवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस क्षेत्र को हाथी रिजर्व के लिए प्रस्तावित किया गया है,जो हाथियों के संरक्षण में एक बेहद महत्वपूर्ण प्रयास है। परंतु कोयला खदान और संरक्षण के मध्य संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती है। आने वाले भविष्य में विकास और संरक्षण संवर्धन के बीच संतुलन बनाएं रखना अति आवश्यक है, ताकि लेमरू क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों तथा वहां की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत व जैवविविधता एवं आने वाले पीढ़ियों के लिए सुरक्षित व संजोए हुए रहें। अन्यथा यह बड़ी क्षति व विनाशकारी साबित हो सकता है, जो मानव प्राणी के साथ साथ अन्य प्राणियों को खतरा की ओर ढकेल देगा।

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