आराध्या न्यूज़। Biography of Ratna Dada Hira Singh Markam,जो गोंडवाना समग्र विकास क्रांति आंदोलन के जनक के रूप में जाने जाते हैं, वे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक भी रह चुके हैं। दादा मरकाम को वर्ष 1984 में तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा एलएलबी में उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था, वे प्रखर वक्ता और एक अनुभवी राजनीतिज्ञ होने साथ सामाजिक चेतना जागृत करने के लिए आदिवासी समाज में काफी ज्यादा लोकप्रिय थे। उन्होंने 28 अक्टूबर 2020 को न्यायधानी बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
प्रारंभिक जीवन व शिक्षा –
दादा हीरा सिंह मरकाम का जन्म 14 जनवरी 1942 को तत्कालीन मध्यप्रदेश के बिलासपुर जिले में “जो अब कोरबा जिले छत्तीसगढ़” के तिवरता नामक गांव में एक किसान परिवार में देवसाय मरकाम एवं सोनकुंवर मरकाम के घर में जन्म हुआ था। वे तीन भाई एवं चार बहनें हैं, जिनमें बड़े भाई चरण सिंह मरकाम, हीरा सिंह मरकाम व छोटे भाई निर्मल सिंह मरकाम हैं। उनका विवाह 1958 में हुआ था तथा उनकी पत्नी का नाम श्रीमती रामकुंवर मरकाम हैं, जो एक गृहिणी रहीं हैं और पढ़ी – लिखी नहीं हैं और ना उन्होंने कभी पढ़ने लिखने का प्रयास नहीं किया। दादा मरकाम के तीन संतान हैं, जिनमें से बड़ी बेटी गीता मरकाम है ( आयम ) जो अपने पति के सरनेम लिखती हैं, इसके बाद दूसरा संतान व बड़ा बेटा अधिवक्ता तुलेश्वर सिंह मरकाम हैं। जो पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक हैं एवं गोंगपा सुप्रीमों के कार्यभार संभाल रहे हैं, सबसे छोटे बेटे लीलाधर मरकाम हैं,जो पेशे से पटवारी के पद पर पदस्थ हैं। और उनके सभी संतानें अपना सफलता पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
शिक्षा – दीक्षा – दादा हीरा सिंह मरकाम ने अपने गृह ग्राम तिवरता से ही अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की, जहां उनके गांव में किसी भी तरह कोई सरकारी व गैर-सरकारी विद्यालय नहीं था। वहीं उनका गांव का ही एक पढ़ा लिखा व्यक्ति कुछ बच्चों को प्राथमिक शिक्षा देता था, जहां सभी बच्चों उस शिक्षक को उसके बदले में चांवल लाकर दिया करते थे। बच्चों को पढ़ाने वाला व्यक्ति गांव के जमींदार के प्रथम मंत्री थे, जिन्हें गांव वालों ने शिक्षक बनाया था और उन्हीं से दादा मरकाम ने कक्षा 1 ली से 3 री तक की शिक्षा प्राप्त किए थे। दादा हीरा सिंह मरकाम के गांव तिवरता में तीन वर्ष बाद सरकारी विद्यालय बना, जिसमें उन्होंने कक्षा चौथी में प्रवेश लिया और वहां से उन्होंने हिंदी, भूगोल, गणित और व्याकरण रचना की शिक्षा प्राप्त की। जहां उन्होंने अपने गृह ग्राम से ही प्राथमिक कक्षाओं की पढ़ाई पूरी कर ली। उनके गांव के आसपास क्षेत्रों में माध्यमिक विद्यालय ना होने के कारण 1952 में उन्होंने अपनी आगे के पढ़ाई के लिए गांव से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर सूरीगांव में माध्यमिक विद्यालय में दाखिला लिया। जहां एक जमींदार के पुराने हवेली में विद्यालय चलता था। जहां दादा मरकाम ने सातवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद तहसील मुख्यालय कटघोरा गये, वहां एक शिक्षा विकास समिति संस्था से उन्होंने 1955 -56 में आठवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने एक वर्ष के लिए अपनी पढ़ाई रोक दीं, क्योंकि तहसील मुख्यालय कटघोरा में उस दौरान हाईस्कूल नहीं था। बाद में दादा मरकाम ने 1957 -58 में बेसिक टीचर्स ट्रेनिंग स्कूल में दाखिला लेने के लिए एक परीक्षा पास की, और एक वर्ष का उन्होंने कोर्स किया। तदोपरांत वे नौकरी के लिए प्रयास करने लगें और अंततः अगस्त 1960 में उन्हें ग्राम रलिया के प्राथमिक विद्यालय शिक्षक की नौकरी मिल गई। भोपाल मध्यप्रदेश से उन्होंने वर्ष 1964 में हायर सेकंडरी स्कूल की परीक्षा पास की और दादा मरकाम ने 1979 – 80 में कालेज की पूरी करके उसके उन्होंने पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से एमए किया।
राजनीतिक – Biography of Ratna Dada Hira Singh Markam ने वर्ष 1980 में सरकारी सेवा से इस्तीफा देकर तत्कालीन विधानसभा चुनाव में पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कूद पड़े। और इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा तथा वे दूसरे स्थान पर रहे। बाद में मरकाम वर्ष 1985 – 86 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और पहली बार जीतकर मध्यप्रदेश विधानसभा पहुंचे। वर्ष 1990 – 91 में लोकसभा चुनाव हुआ, जिसमें उन्होंने चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर किया और पार्टी से लोकसभा चुनाव की टिकट की मांग कर दीं लेकिन पार्टी ने स्थानीय व्यक्ति जगह बाहरी व्यक्ति को अपना उम्मीदवार घोषित किया। और पार्टी से बगावत कर जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप चुनाव लड़ें परंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के स्थापना व सामाजिक जागरूकता तथा आंदोलन – 90 के दशक में दादा हीरा सिंह मरकाम(Biography of Ratna Dada Hira Singh Markam) ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की नींव रखी और औपचारिक रूप से 13 जनवरी 1990 को इसकी स्थापना की गई। वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और आगामी 1995 -96 के विधानसभा चुनाव भी लड़ें और तीन विधायक गोंडवाना गणतंत्र पार्टी निर्वाचित होकर मध्यप्रदेश विधानसभा पहुंचे। जिनमें दादा हीरा सिंह मरकाम, रामगुलाम उईके,दरबू सिंह उईके शामिल हैं। बाद में दादा हीरा सिंह मरकाम ने संपूर्ण आदिवासी समाज के अधिकारों और उनके हितों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी, और अलग अलग क्षेत्रों में जाकर – जाकर सामाजिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक दृष्टिकोण से आदिवासी समुदाय को जागरूक किया। उन्होंने देश की राजधानी नई दिल्ली में हजारों – लाखों किसानों के साथ आंदोलन करके वन अधिकार पट्टा अधिनियम लागू करवाया। और उस आंदोलन में कई लोगों की मृत्यु तक भी हो गई। दादा मरकाम ने अपनी संपूर्ण जीवन सामाजिक न्याय एवं सांस्कृतिक व धार्मिक जागरूक के लिए समर्पित कर दिया, दादा हीरा सिंह मरकाम को गोंडवाना रत्न से सम्मानित किया गया है।
मृत्यु व वर्तमान राजनीतिक – Biography of Ratna Dada Hira Singh Markam ने न्यायधानी बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में 28 अक्टूबर 2020 को अंतिम सांस ली। वर्ष 2019 में दादा मरकाम के बड़े सुपुत्र तुलेश्वर सिंह मरकाम गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाएं गए। और वर्ष 2019 में ही उन्हें पार्टी की ओर पहली बार कोरबा लोकसभा क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा गया था, परंतु सफलता नहीं मिली। बाद में वर्ष 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र से मैदान उतारा और वे विधानसभा चुनाव भी पहली बार लड़ें और 714 वोटों की अंतर से अपने विरोधी प्रत्याशी को शिकस्त देकर छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एकलौते विधायक चुने गए। पार्टी अभी छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र जैसे बड़े प्रदेशों में कार्य कर रही है और जमीनी स्तर की लड़ाई के लिए यह पार्टी जानी जाती है।